पंजाब सरकार ने बार कौंसिल ऑफ इंडिया और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री से ऑल इंडिया बार परीक्षा पंजाबी में भी कराने की पुरजोर मांग की है। उसने दलील दी है कि बार कौंसिल इस परीक्षा को तेलुगू, तमिल, कन्नड़, मराठी, बंगाली, गुजराती, उडिया आदि नौ क्षेत्रीय भाषाओं में देने की स्वीकृति दे चुकी है। पंजाब के शिक्षा एवं भाषा मंत्री डॉ. उपिंदरजीत कौर ने बार कौंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन गोपाल सुब्रामण्यम को लिखे पत्र में कहा कि पंजाबी संविधान की आठवीं अनुसूची में अन्य भाषाओं के समान दर्ज है और पंजाबी को भी अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की तरह राजकीय एवं कामकाज की भाषा के तौर पर अपनाने की स्वीकृति है। इसके अलावा संघ लोक सेवा आयोग ने भी सिविल सर्विसेज की परीक्षा में पंजाबी भाषा को चुनने की छूट दी है। शिक्षा मंत्री ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को लिखे पत्र में भी इसी तरह का अनुरोध किया है। बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने एडवोकेट एक्ट 1961 के तहत वकालत के पेशे में आने के लिए पहली बार ऑल इंडिया बार परीक्षा शुरू की है। इसे पास करने के बाद ही उम्मीदवार को वकालत करने के लिए व्यवहारिक स्वीकृति प्रमाणपत्र दिया जाएगा। यह परीक्षा पांच दिसंबर को होगी, जिसके लिए आवेदन की अंतिम तिथि 30 सितंबर है। शिक्षा मंत्री ने दलील दी कि पंजाब के जो उम्मीदवार पंजाबी भाषा में परीक्षा देना चाहते हैं, उनके लिए यह भेदभाव वाला व्यवहार है, जिसे जायज नहीं ठहराया जा सकता(दैनिक जागरण,Chandigarh, १२.९.२०१०) ।
good work... and then in Bhojpuri and then in Bundeli and then in all other languages of Indian... Growing India...
जवाब देंहटाएंपहले पंजाब को पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय की कामकाज की भाषा के रूप में पंजाबी और हिन्दी को मान्यता दिलाने के लिए मांग करनी चाहिए।
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