देशभर के स्कूलों में बच्चे जल्द ही एलसीडी प्रोजेक्टर, इलेक्ट्रानिक व्हाइट बोर्ड के जरिए पढ़ाई करते नजर आएंगे। सूचना एवं प्रौद्योगिकी के इन उपकरणों का इस्तेमाल कक्षाओं में पढ़ाने के लिए किया जाएगा। आम कक्षाओं से अलग यह एक प्रकार के डिजिटल क्लासरूम होंगे। सीबीएसई ने इंर्फोमेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नॉलॉजी को स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनाने की योजना तैयार की है। चरणबद्ध तरीके से इस योजना को अमली जामा पहनाने की दिशा में काम किया जाएगा। पहले चरण में स्कूलों को ही कक्षाओं में डिजिटल मैटीरियल का प्रयोग करना होगा। सीबीएसई का मानना है कि बच्चों में विश्लेषणात्मक सोच की नींव शुरुआत से ही डाली जानी चाहिए। सूचना क्रांति जिस तरह से दिनचर्या में शामिल हो रही है, उसके कारण जरूरी है कि बच्चे भी इनसे प्राइमरी स्तर पर ही परिचित हों। सीबीएसई का मानना है कि जिस तरह से एनसीईआरटी ने गणित के शिक्षण के लिए वर्ल्ड वाइड वेब का प्रयोग किया है। उसी तरह से सभी कक्षाओं में सभी विषयों के लिए वर्ल्ड वाइड वेब का प्रयोग होना चाहिए। एलसीडी प्रोजेक्टर से लैस एक क्लासरूम स्थापित करने की बात भी कही गई है। साथ ही ऐसी कक्षाओं में प्रोजेक्शन व डिस्पले डिवाइस की उपलब्धता पर भी जोर दिया गया है। इसके अलावा इलेक्ट्रानिक इंटरेक्टिव व्हाइड बोर्ड सिस्टम, यूपीएस सिस्टम के साथ कंप्यूटर सिस्टम, डिजिटल क्लास रूम को चलाने में शिक्षकों के लिए एक रिसोर्स व्यक्ति की अनिवार्यता के लिए स्कूलों को निर्देशित किया गया है। सीबीएसई अध्यक्ष विनीत जोशी ने स्कूलों में आईसीटी योजना के संबंध में स्कूलों को कुछ निर्देश भेजे हैं। निर्देशों में साफ किया गया है कि प्रत्येक स्कूल में हर कक्षा के लिए कम से कम एक डिजिटल मैटीरियल से लैस क्लासरूम स्थापित किया जाए। बाद में स्कूल धीरे-धीरे करके उपकरणों में इजाफा कर सकते हैं। बोर्ड का मानना है कि डिजिटल कक्षाएं होने से शिक्षकों का शिक्षण प्रभावित नहीं होगा बल्कि यह तकनीक उच्च व बेहतर शिक्षक बनाने में मदद करेगी(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण, १२.९.२०१०)।
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