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03 सितंबर 2010

झारखंडःहड़ताल चरम पर। पढाई खटाई में

झारखंड में स्थायीकरण की मांग को लेकर गत सात दिनों से हड़ताल कर रहे प्राथमिक विद्यालयों के संविदा अध्यापक (पारा शिक्षक) का पारा चढ़ता जा रहा है। शिक्षकों के दो अन्य गुटों ने भी शुक्रवार से हड़ताल में शामिल होने का ऐलान किया है। 80 हजार शिक्षकों के कार्य बहिष्कार से सरकारी जूनियर हाई स्कूलों में पढ़ाई ठप हो जायेगी। प्राथमिक विद्यालयों में भी शिक्षण कार्य बुरी तरह से प्रभावित होगा। बच्चों को मध्याह्न भोजन से वंचित रहना पड़ेगा। दो दिनों बाद शिक्षक दिवस है, ऐसे में गुरुओं के पारे से सियासत गरमाने के आसार हैं। ढुलमुल सरकार, लटकीं मांगें : राज्य सरकार के ढुलमुल रवैये से पिछले पांच वर्षो में पारा शिक्षकों ने कई बार हड़ताल की है। इसके चलते बच्चों की शिक्षा बाधित हुई है। पिछले आंदोलन में पारा शिक्षकों को प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति में 50 फीसदी आरक्षण देने पर समझौता हुआ, लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। ऐसे में पारा शिक्षकों को लगने लगा है कि सरकार उन्हें सिर्फ बहला रही है और हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी है। समाधान नहीं सियासत : सूबे के पारा शिक्षक एक बड़ा वोट बैंक है। जाहिर है सभी दलों की नजर इन पर होती है। गत चुनाव में भी इनकी समस्याएं घोषणापत्रों की शोभा बढ़ाई थी, लेकिन समस्याओं का स्थायी हल आज तक नहीं हुआ। हड़ताल होने पर अधिकारियों को दबाव देकर पारा शिक्षकों की मांगें पूरी करने आश्र्वासन दिया जाता है, लेकिन हड़ताल टूटते ही सब कुछ ठंडे बस्ते में। पारा शिक्षक नेता विक्रांत ज्योति ने कहा कि सरकार हमारी मांगों के प्रति गंभीर नहीं। अब तक हमें मांगें पूरी कर लिए जाने का आश्वासन देकर सिर्फ ठगा गया है(नीरज अम्बष्ट,दैनिक जागरण,रांची,3.9.2010)।

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