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10 सितंबर 2010

उप्र व उत्तराखंड के बीच झूल रहे कर्मियों को राहत जल्द

उत्तर प्रदेश से अलग उत्तराखंड राज्य बनने के दस साल बाद भी पारिवारिक व चिकित्सकीय कारणों के चलते अपनी तैनाती को लेकर दोनों राज्यों के बीच झूल रहे बाकी बचे सरकारी कर्मचारियों को भी जल्द राहत मिल सकती है। दोनों राज्यों के कर्मचारियों के बंटवारे के लिए बनी समन्वय समिति ने अब तक लंबित प्रकरणों में से ज्यादातर को निस्तारित कर दिया है। उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड समन्वय विभाग के अधिकारियों की गुरुवार को यहां केंद्र सरकार के कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग के प्रतिनिधि की मौजूदगी में बैठक हुई। बैठक में दोनों राज्यों के विभिन्न विभागों के लगभग 150 से अधिक कर्मचारियों के आवेदनों व शिकायतों पर विचार किया गया। सूत्रों के मुताबिक एजेंडे में शामिल विषयों और उसके तहत आने वाले मामलों में से समिति ने ज्यादातर को हरी झंडी दे दी है। अलबत्ता उन मामलों को अगली बैठक के लिए टाल दिया गया है, जिनके उत्तर प्रदेश या उत्तराखंड में स्थानांतरित करने या फिर वहां बनाए रखने के तार्किक कारण उपलब्ध नहीं थे। बैठक के एजेंडे में सबसे ज्यादा लगभग चार दर्जन मामले माध्यमिक शिक्षा विभाग से संबंधित थे, जबकि एक मामला उच्च शिक्षा विभाग से जुड़ा था। उनमें भी ज्यादातर ने माता, पिता, पति या पत्नी की बीमारी के आधार पर उत्तराखंड या उत्तर प्रदेश में स्थानांतरित करने अथवा वर्तमान तैनाती पर बनाए रखने का अनुरोध किया है। बताते हैं कि जिन मामलों में राज्य चिकित्सा परिषद की रिपोर्ट को संतोषजनक पाया गया, समिति ने उन आवेदनों पर अपनी रजामंदी दे दी है। इस श्रेणी में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग व सचिवालय प्रशासन विभाग के एक-एक मामले भी समिति के विचाराधीन थे। इसके साथ ही बैठक में सहकारिता विभाग, वन विभाग, लोकनिर्माण विभाग से जुड़े मामलों पर भी विचार किया गया। इसके अलावा कई मामले दांपत्य नीति से भी जुड़े थे। उसमें उच्च शिक्षा विभाग से सात व माध्यमिक शिक्षा विभाग के दो मामले थे। बताते हैं कि समिति ने उनमें से भी अधिकतर को निस्तारित कर दिया है। समिति के सामने पुलिस कांस्टेबल व उप निरीक्षकों के दर्जन भर ऐसे मामले भी थे, जिनमें अदालत ने रोक लगा रखी है। जबकि 58 मामलों में राज्य मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का इंतजार था। सूत्र बताते हैं कि जिन मामलों में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में इलाज आदि का वाजिब आधार साबित हो पाया, उन्हें निस्तारित कर दिया गया है और मौजूदा आवेदनों में से अब कम ही मामले लंबित हैं। बैठक में उत्तर प्रदेश पुनर्गठन समन्वय विभाग के प्रमुख सचिव आरएम श्रीवास्तव, उत्तराखंड के अपर सचिव अरविंद हयांकी समेत दोनों राज्यों के लगभग दो दर्जन अधिकारियों व कर्मचारियों ने शिरकत की(दैनिक जागरण,लखनऊ संस्करण,10.9.2010)।

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