पशुओं का बंध्याकरण, कृत्रिम गर्भाधान और प्राथमिक उपचार कानूनन केवल पंजीकृत पशुचिकित्सक, अथवा पशुधन सहायक (एलएसए) का दो वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति ही कर सकता है, फिर भी शहर में एक संस्था भारतीय पशु पालन विकास एवं अनुसंधान संस्थान, बनीपार्क ऐसा प्रशिक्षण देकर लोगों को रोजगार देने का दावा कर रही है।
इसके लिए बाकायदा विज्ञापन देकर पशु सेवा केंद्र खोलने और विभिन्न पदों के लिए 500 से 1100 रुपए के आवेदन पत्र बेचे जा रहे हैं। इसके अलावा कुछ बड़े पदों के लिए पांच से 11 हजार रुपए आवेदन शुल्क की भी मांग की गई है। ज्यादातर पदों के विज्ञापन फर्म की वेबसाइट पर मौजूद हैं।
चौंकाने वाले बात यह है कि यह सब कुछ उसी तर्ज पर हो रहा है, जैसा कि मारवाड़ पशु चिकित्सा शिक्षा प्रबंधन एवं शोध संस्थान, बनीपार्क ने छह माह पहले किया था। मारवाड़ संस्थान के खिलाफ शहर के बनीपार्क थाने में 59 मुकदमे दर्ज हुए और पुलिस ने सभी में चालान पेश किया है। संस्थान के पदाधिकारी अब भी जेल में हैं।
विज्ञापन निकलने के बाद से बड़ी संख्या में बेरोजगारों ने डीबी स्टार को फोन करके जानना चाहा कि क्या संस्थान सही है, इस पर डीबी स्टार रिपोर्टर आवेदक बनकर ऑफिस पहुंचा और पूरे मामले की पड़ताल की और जो कुछ सामने आया हूबहू पेश कर रहा है। पाठक खुद तय करें कि वास्तव में क्या चल रहा है?
यह है नियम
पशु पालन निदेशालय के अनुसार रजिस्टर्ड एनजीओ पंजीकृत पशु चिकित्सकों के मार्गदर्शन में पशु पालकों को प्रशिक्षण दिलवा सकती है। प्रशिक्षणार्थी पशु चिकित्सा का कार्य नहीं कर सकते।
राजस्थान पशु चिकित्सा परिषद अधिनियम की धारा 30 (ख) के अनुसार पशु चिकित्सक के मार्गदर्शन में पशुधन सहायक ही नस्ल सुधार, कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र संचालन जैसे काम कर सकता है।
यह है ऑफिस का नजारा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शुभकामना संदेश के बोर्ड और फ्रेम कराए हुए कम्पनी रजिस्ट्रार का प्रमाण पत्र। सूचना के अधिकार में मांगी गई नियमों की जानकारियां फ्रेम में सजी हैं। प्रजेंटेशन ऐसा कि कोई ग्रामीण देखे तो सरकारी विभागों के प्रमाण पत्र होने का धोखा खा जाए। साथ ही तम्बाकू उत्पादों पर लगी वैधानिक चेतावनी की तरह लिखा संदेश संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त लोग सरकारी नौकरी के पात्र नहीं होंगे।
दो बोर्ड लगे थेः एक भारतीय पशुपालन विकास एवं अनुसंधान संस्थान लि. का तो दूसरा राजस्थान पशु चिकित्सा शिक्षा प्रबंधन एवं शोध संस्थान का। संस्थान के कर्मचारियों ने बताया कि कम्पनी राज्य में हर पंचायत स्तर पर एक पशु सेवा केन्द्र खोल रही है। सेवा केन्द्र पर पशु आहार और दवाओं आदि की बिक्री होगी। 50 हजार रुपए का माल लेना होगा।
कम्पनी की संस्था से प्रशिक्षत आदमी पशुओं का बंध्याकरण, कृत्रिम गर्भाधान, प्राथमिक उपचार भी कर सकेगा। इन सब कामों से उसे आय भी होगी। प्रशिक्षण के लिए 30 हजार रुपए देने होंगे। मार्केटिंग एजेंट के पद पर नौकरी करने पर युवक को वेतन नहीं लाभांश दिया जाएगा। जो कि चार या पांच हजार रुपए होगा। यह लाभांश योग्यता के आधार पर तय किया जाएगा।
मैनेजर, सब डिवीजनल मैनेजर, डिस्ट्रिक्ट मैनेजर, रीजनल मैनेजर की पोस्ट भी है। इन पदों के लिए आवेदन शुल्क 5 से 11 हजार रुपए है। एक से पांच लाख रुपए सिक्योरिटी के रूप में जमा कराने होंगे। सभी को निश्चित लाभ के रूप में 12 हजार से 60 हजार रुपए हर माह दिए जाएंगे। हमने पूछा कोई भी कम्पनी अपने यहां नौकरी देने के लिए रुपए नहीं लेती तो जवाब मिला अपवाद कहां नहीं होते।
इसी तर्ज पर हो चुकी है ठगी
बनीपार्क थाना प्रभारी अशोक चौधरी ने बताया कि जिला परिषद के पास ही मारवाड़ पशु चिकित्सा शिक्षा प्रबंधन एवं शोध संस्थान नामक कार्यालय था। वह भी राजस्थान पशु चिकित्सा शिक्षा प्रबंधन एवं शोध संस्थान के कर्ताधर्ताओं की कम्पनी भारतीय पशुपालन विकास और अनुसंधान संस्थान की तरह ही विज्ञापन देता था।
पशुपालन विभाग में सहायक निदेशक के पद से रिटायर्ड देवव्रत शर्मा संस्था में प्रबंध निदेशक और राजेन्द्र धायल सचिव था। दोनों ने ग्राम पंचायत स्तर पर पशुधन विकास केन्द्र खोल बेरोजगारों को नौकरी देने का झांसा दिया। प्रशिक्षण अनिवार्य बताते हुए 44 हजार रुपए बतौर फीस ली। सैंकड़ांे छात्रों को प्रशिक्षण तो दिया लेकिन नौकरी नहीं दी। कुछ जगह केन्द्र खोल कर दवाएं, खाद आदि बेचने के लिए माल भेजा। लेकिन माल नकली निकला।
गांवों में कौन पूछता है कि ट्रेंड हो कि अनट्रेंड
रागोप बंर्गवा, प्रोजेक्ट ऑफिसर, से सवालः
पशु सेवा केन्द्र खोलने के लिए क्या करना होगा?
1100 रुपए आवेदन के और 50 हजार रुपए का माल खरीदना होगा।
हमें क्या मिलेगा?
माल पर 30% तक लाभ मिलेगा। 50 हजार के माल पर 10 हजार का लाभांश।
पर 30% के हिसाब से तो 15 हजार रुपए का मुनाफा होना चाहिए?
मैंने आपको अप टू 30 परसेंट बताया है। अलग-अलग चीजों में 20,25,30,35 फीसदी मुनाफा है। ऐसे में एवरेज 30 प्रतिशत है।
क्या दवाएं भी बेच सकता हूं?
हमारे यहां से पशुपालन एवं पशु प्रबंधन कोर्स करने के बाद। पशु सेवा केन्द्र खोल दवाएं भी बेच सकोगे। छह माह के कोर्स की फीस 30 हजार रुपए लगेगी।
और भी कोई फायदा होगा क्या?
आप कृत्रिम गर्भाधान, बधियाकरण, प्राथमिक उपचार जैसे काम कर सकोगे। लाभांश के रूप में 4 से 5 हजार रुपए मिलेंगे।
पर यह काम तो नियमों के हिसाब से आपका प्रशिक्षित आदमी भी नहीं कर सकता?
गांवों में कई सालों से लोग बिना प्रशिक्षण काम कर रहे हैं। कौन पूछता है!
प्रशिक्षण कहां दिलवाएंगे?
नीचे हमारी सहयोगी संस्था का दफ्तर है, वहीं से आपको प्रशिक्षण मिलेगा।
दीन दयाल जाखड़, कंपनी के चेयरमैन से सवाल
आपका मारवाड़ पशु चिकित्सा शिक्षा प्रबंधन एवं शोध संस्थान वाले राजेन्द्र धायल से क्या संबंध है?
राजेन्द्र धायल और मैं सीकर में नशा मुक्ति एनजीओ में साथ काम करते थे। उन्होंने मेरे देखा-देखी दूसरा संस्थान चलाया। गड़बड़ियां की तो मैंने भी पुलिस को सबूत दिए अब जेल में सड़ रहा है। मेरे मामलों में एफआर लग गई। मेरे पास तो अदालत का स्टे भी है।
धायल तो आपके साथी रह चुके थे, फिर आपने उन्हीं के खिलाफ सबूत क्यों जुटाए?
जब पुलिस मुझे हत्या के आरोप में तलाश कर रही थी तो उन्होंने मेरे यहां बवाल करवाने की कोशिश की थी।
आपको अदालत से स्टे क्यों लेना पड़ा?
पशु-पालन विभाग ने हमारी संस्थाओं को फर्जी करार दिया था। विभाग के इस निर्णय के खिलाफ हम सीकर की एक अदालत चले गए। जहां अदालत ने हमें निर्णय न होने तक काम जारी रखने की छूट दे रखी है।
आपने पशु-पालन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ इस्तगासे वाले मामले में क्या हुआ?
मैंने और धायल ने अवमानना का मामला लगाया था। बाद में हमने मामला वापस ले लिया।
क्या आप मुझे कोर्ट स्टे की कॉपी दिखा सकते हैं?
वह तो मेरे पास नहीं है।
आपने जगह-जगह पर सीएम का संदेश होर्डिग और फ्रेम क्यों लगा रखे हैं?
मोमेंटो भी तो डिस्प्ले कर रखे हैं। मुख्यमंत्री ने भेजा तो उसे दिखाएंगे ही। हमने अपने काम की रिपोर्ट भेजी थी, उसके जवाब में हमें मिला।
आपकी कंपनी नौकरी देने, ऐजेंट बनाने, सेवा केन्द्र खोलने आदि के नाम पर लोगों से हजारों रुपए क्यों वसूल रही है?
विज्ञापन करने और ऑफिस चलाने के लिए खर्चा कहां से निकालेंगे। इन्हीं सब से तो पैसा आएगा।
हर ग्राम पंचायत स्तर पर काम करने जितनी बड़ी वर्किग कैपिटल है आपके पास?
पांच लाख रुपए हैं। 50 लाख की दवाओं का स्टॉक है। हर छोटी कम्पनी ऐसे ही तो काम शुरू करती है।
जब बिना पशु चिकित्सक के कोई प्रशिक्षणार्थी काम ही नहीं कर सकता तो प्रशिक्षण का फायदा क्या?
ठीक वैसे ही काम कर सकता है जैसे किसी आदमी के गिर जाने पर कोई भी मरहम पट्टी कर देता है।
एलएसए ट्रेनिंग स्कूल्स में दो साल का कोर्स करने के बाद ही कोई पशु चिकित्सा संबंधित काम कर सकता है। फार्मेसी काउंसिल से रजिस्ट्रेशन लिए बिना कोई दवाएं भी नहीं बेच सकता है।
डॉ. शैलेश शर्मा,
ज्वाइंट डायरेक्टर जयपुर रेंज, पशु पालन निदेशालय
(योगेश शर्मा,दैनिक भास्कर,जयपुर,9.9.2010)
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