खुद को आईआईटी खड़गपुर व आईआईएम अहमदाबाद का पढ़ा हुआ व माइक्रोसाफ्ट गुड़गांव का उपाध्यक्ष बताकर आईआईटी खड़गपुर में दाखिला दिलाने व वहां के छात्रों को प्रोजेक्ट के लिए लोन दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले एक शातिर विजय कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। ठगी के इस धंधे में विजय के पिता शौर्यचक्र विजेता रिटायर्ड फ्लाइट लेफ्टीनेंट राम प्रसाद भी उसकी मदद करते थे। डीसीपी जसपाल सिंह के मुताबिक विजय को नजफगढ़ से दबोचा गया। वह केंद्रीय विद्यालय से 12वीं व ओपन से स्नातक है। मई माह में आईआईटी में दाखिला की परीक्षा देकर लौट रहे गाजियाबाद के एक छात्र से विजय की राजेंद्र नगर में मुलाकात हुई थी। छात्र के पिता राजीव कुमार बिहार के डेहरी आनसोन में लेक्चरर हैं। विजय ने छात्र को बताया कि वह आईआईटी खड़गपुर व अहमदाबाद से पढ़ा है। हाल में माइक्रोसाफ्ट में उपाध्यक्ष है। साथ ही आईआईटी खड़गपुर में गेस्ट लेक्चरर भी है। वहां के डीन, चेयरमैन आदि कई नाम गिनाते हुए उसने कहा था कि वे उसके दोस्त हैं। गर वो चाहे तो उसका दाखिला वहां करवा सकता है। इसकी जानकारी छात्र ने अपने पिता को दी। इस पर राजीव कुमार ने विजय से बात कर दस लाख में दाखिला करवाने का सौदा किया। अपना रुतबा दिखाने के लिए उसने राजीव को आईआईटी खड़गपुर का फर्जी आईकार्ड दिखाया। साथ ही कई सोशल साइट पर उसका प्रोफाइल देखने को भी कहा। उसका प्रोफाइल देखकर राजीव संतुष्ट हो गए। उन्होंने विजय को तीन लाख रुपये दे दिए। इसके बाद विजय बाप-बेटे को लेकर खड़गपुर गया। वहां विजय छात्र को डीन अमित पात्रा के कमरे के पास छोड़कर खुद कहीं चला गया। वापस आकर बताया कि डीन से बात हो गई है, दाखिला हो जाएगा। रिजल्ट में उसका नाम न आने पर विजय से संपर्क किया गया, लेकिन उसने भरोसा दिलाया कि छात्र का नाम लिस्ट में है। नाम देखने के लिए उसने पिता पुत्र को खड़गपुर बुलाया, लेकिन वहां नोटिस बोर्ड पर छात्र का नाम अलग सूची में चस्पा दिया। राजीव ने जब बेटे का नाम अलग सूची में होने का कारण पूछा तो बताया गया कि दाखिला मैनेजमेंट कोटे में हुआ है। शक होने पर राजीव कुमार ने चेयरमैन अरुण कुमार से इस बाबत बात की, लेकिन उन्होंने इसे फर्जी करार दिया। बावजूद इसके विजय भरोसा दिलाता रहा कि दाखिला हो जाएगा। काउंसिलिंग की चिट्टी उनके पास जाएगी। बाद में चिट्टी आने पर विजय ने पिता-पुत्र को दाखिला लेने के लिए खड़गपुर बुलाया। वहां विजय ने राजीव कुमार को एक अन्य डीन द्वारा जारी एडमिशन लेटर व हास्टल की फीस की पर्ची लाकर थमा दी। विश्वास में आकर राजीव ने विजय को दोबारा तीन लाख रुपये दे दिए। बावजूद इसके दाखिला न मिलने पर राजीव ने थाने में शिकायत कर दी। एसीपी एस. श्रवण व इंस्पेक्टर रितुराज के नेतृत्व में माइक्रोसाफ्ट से पता करने पर पुलिस को जानकारी मिली कि विजय नाम की वहां अक्सर शिकायतें आती हैं। आईआईटी खड़गपुर से पता पता चला कि वहां के आठ छात्रों ने सोशल साइट पर विजय का प्रोफाइल देखा और उसके झांसे में फंस गए। प्रोजेक्ट के लिए माइक्रोसाफ्ट से 20-20 लाख रुपये लोन दिलाने के नाम पर उसने छात्रों से लाखों रुपये ठग लिए। उसके घर से सीबीआई के डीएसपी का फर्जी आईकार्ड, माइक्रोसाफ्ट की 150 एक्सपिरिएंस सार्टिफिकेट, आईएमटी गाजियाबाद के परिचय पत्र, मैनेजमेंट की डिग्रियों के 150 प्रमाण पत्र, डेल कारपोरेशन के सीनियर उपाध्यक्ष के फर्जी आईकार्ड मिले हैं। बताया गया है कि इस ठगी के धंधे में उसके पिता भी उसके साथ कई जगह जाते थे व अपना रौब दिखाते थे(दैनिक जागरण,दिल्ली,4.9.2010)।
अजब कारनामें हैं.
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