दिल्ली विश्वविद्यालय (डूसू) के छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पद पर जीत हासिल करने वाले उम्मीदवारों की खुशी बनी रहेगी, इस पर शंका के बादल मंडरा रहे हैं। दरअसल बीते साल की तरह इस साल भी डीयू प्रशासन ने डूसू के नतीजों को प्रोविजनल करार दिया है और कहा है कि उम्मीदवारों की शिकायतों पर जांच के बाद ही उनके भविष्य पर फैसला लिया जाएगा। हालांकि डीयू प्रशासन के इस फैसले पर लोगों का कहना है कि डीयू प्रशासन डूसू पदाधिकारियों की लगाम अपने हाथ में रखना चाहती है। बीते साल भी डूसू पदाधिकारियों के नतीजे प्रोविजनल ही थे, लेकिन साल भर का कार्यकाल बीत जाने के बाद भी डीयू प्रशासन ने कुछ नहीं किया। जांच का क्या हुआ इसका जवाब भी मुख्य चुनाव अधिकारी प्रो. गुरमित सिंह के पास नहीं है। उनका कहना है कि इस साल जीते सभी डूसू पदाधिकारियों जितेंद्र चौधरी, नीतू डबास, प्रिया डबास और अक्षय कुमार के नतीजों को प्रोविजनल रखा गया है। जांच पूरी होने पर अगर सभी या इनमें से कोई भी अचार संहिता उल्लंघन का दोषी पाया जाता है तो उनके पद छिन जाएंगे(दैनिक जागरण,दिल्ली,5.9.2010)।
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