उत्तर आधुनिक युग में मानव बुद्धिवाद की ओर निरंतर अग्रसर होता जा रहा है। उसकी प्रत्येक गतिविधि में बुद्धि का महत्व प्रकट होता है। जीवन का कोई भी क्षेत्र हो चारों ओर बुद्धि और तर्क का बोलवाला है। प्रतियोगी परीक्षाएं भी इससे अछूती नहीं हैं। चाहे क्लर्क की बात हो या फिर रेलवे के बाबू या प्रशासनिक अधिकारी की या मैनेजमेंट के छात्र सभी को अपने दैनिक जीवन में किसी न किसी रूप में तर्कशक्ति का सहारा लेना ही पड़ता है। दरअसल तर्कशक्ति या रीजनिंग से व्यक्ति के आईक्यू की परख की जाती है। जब हम किसी समस्या पर विचार करते हैं तो उसके कितने आयाम हो सकते हैं इसका ज्ञान रीजनिंग से ही होता है। पुन: शीघ्रता और शुद्धता के लिए तर्क हमारा मार्गदर्शन करता है। इस प्रकार यह व्यक्ति के उचित निर्णय लेने में सहायता करता है। खासकर पब्लिक डिलींग वाले पदों पर रहने वाले लोगों को विभिन्न तरह के लोगों के साथ तर्क के द्वारा ही संतुष्ट करना पड़ता है। आईए,जानते हैं कि वर्बल तथा नन-वर्बल रीजनिंग क्या हैं, इनकी तैयारी कैसे करनी चाहिए और कृपया समय प्रबंधन के बारे में बताएं।
रीजनिंग आज प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। इसलिए इसकी तैयारी बेहद संजीदगी से करने की जरूरत महसूस की जा रही है क्योंकि पहले आप इसे कम से कम समय में आसानी से हल कर सकते हैं। फिर इनको बनाने के बाद नंबर कटने की संभावना कम होती है। एक अन्य बात यह महत्वपूर्ण होती है कि इसकी तैयारी कम समय में भलीभांति की जा सकती है। यों तो बैंकिंग की रीजनिंग रेलवे की तुलना में जटिल होता है। लेकिन नियमित अभ्यास से किसी भी कठिनाई को दूर किया जा सकता है।
रीजनिंग दो प्रकार के होते हैं- वर्बल रीजनिंग तथा नन-वर्बल रीजनिंग। इसके तहत रेलवे में जेनरल और एनालिटिकल प्रश्न ज्यादा पूछे जाते हैं। क्लेरिकल बैंकिंग के तहत पजल, मैथेमेटिकल स्टेटमेंट, साइलोलिज्म, डाटा सफिसियेंसी, कोडिंग-डिकोडिंग, एनालाजी, क्लासीफिकेशन, प्राब्लम बेस्ड आन अल्फावेट्स, डायरेक्शन सेंस, बल्ड रीलेशन, सीटिंग अरेंजमेंट, रैंकिंग, सीड्यूल डेज/डेट तथा टाइम, कंडिशनल नंबर तथा नंबर एवं लेटर, सिक्यूयेंस, वर्ड अरेंजमेंट नंबर व लेटर सीरीज, मैथेमेटिल आपरेशन्स, क्लाक प्राब्लम वेस्ड आन अल्फावेट, मिरर तथा डिग्री से संबंधित तमाम तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं। जबकि पी.ओ. में इसके अलावे एजेम्पसन आफ द आर्गुमेंट, काउज आफ एक्शन, स्टेटमेंट कनक्लुजन डिशिजन मेंकिंग एकार्डिग टू डेटा, मैथेमेटिकल रीजनिंग, ट्रूथ एण्ड फाल्सीटी आफ इन्फारेन्स तथा काउज एण्ड इवेंट से विभिन्न तरह के प्रश्न पूछे जा सकते हैं। नन-वर्बल रीजनिंग के तहत सीरीज, एनालाजी, क्लासीफिकेशन, पेपर कटिंग, पेपर फोल्डिंग, इम्बीडेड फिगर कम्प्लीशन, फिगर मैट्रिक्स, मिरर एण्ड वाटर इमेजेज पर आधारित विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं। रीजनिंग की तैयारी के लिए क्लर्क, एसएससी रेलवे के लिए पांच महीने का समय पर्याप्त हो सकता है जबकि पी.ओ. के लिए आठ महीने का समय उपयुक्त हो सकता है।
रीजनिंग की तैयारी के लिए मानक पुस्तकों का अध्ययन करना ही बेहतर होगा। सबसे पहले प्रत्येक अध्याय का गहनतापूर्वक अध्ययन करें। फिर प्रत्येक अध्याय के अंत में दिए गए प्रश्नों को हल करें। रीजनिंग की तैयारी के लिए स्पीड तथा एक्यूरेसी का होना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके लिए बार-बार अभ्यास करने की जरूरत होती है। गति को बढ़ाने के लिए निरंतर अभ्यास आवश्यक है। प्रतिदिन दो सेट अवश्य हल करने की आदत डालें। प्रश्नों को समझने के लिए विगत दस वर्षो में पूछे गए प्रश्नों को हल करने की कोशिश करें। तैयारी ग्रुप में करें। ऐसा करने पर कठिनाई की दशा में एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं(रीजनिंग के जाने-माने विशेषज्ञ अजय चौहान से डा. राजीव रंजन शुक्ल तथा राजीव कुमार की बातचीत पर आधारित,दैनिक जागरण,पटना,20.9.2010)
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