वेतन से प्राप्त आय पर डायरेक्ट टैक्स कोड (डीटीसी), 2010 में अलग तरीके से कर लगाया जाएगा। इसके लिए डीटीसी की धारा 20 से 23 तक में प्रावधान किए गए हैं। इसमें वेतन से प्राप्त आय में आमूल-चूल परिवर्तन किए गए हैं। सेलरी इनकम की गणना अब ‘रोजगार से प्राप्त आय’ के तहत की जाएगी। एकबारगी देखने से तो यही लगता है कि वेतन कराधान अब बहुत आसान होने जा रहा है। इसके तहत सभी प्रावधान डीटीसी में एक पेज से भी कम जगह में समेट दिए गए हैं।
लेकिन एक सवाल अभी भी जेहन में रह जाता है कि डीटीसी में वेतन से प्राप्त आय या रोजगार से प्राप्त आय पर किए गए इन प्रावधानों से वास्तव में कोई राहत की बात सामने निकल कर आएगी? डीटीसी में रोजगार से प्राप्त आय से संबंधित सभी प्रावधान 1 अप्रैल, 2012 से लागू हो जाएंगे। इसलिए वित्त वर्ष 2012-13 को लेकर हम रोजगार से प्राप्त आय पर कराधान के बारे में चर्चा करेंगे। डीटीसी की धारा 21 के तहत वेतन से प्राप्त आय की गणना रोजगार से प्राप्त आय के तहत की जाएगी। इसमें धारा 23 के तहत मिलने वाली छूट के अलावा कुल वेतन पर कर की गणना की जाएगी।
जैसे धारा 22 में खास तौर पर इसका उल्लेख है कि रोजगार से प्राप्त कुल वेतन पर कर की गणना कर्मचारी को भुगतान किए गए वेतन के आधार पर की जाएगी। यह बहुत जरूरी है कि वेतन और अन्य भत्तों की परिभाषा को समझा जाए। इसके अलावा डीटीसी प्रावधानों के तहत वेतन के स्थान पर अन्य लाभ के छूट को भी समझाना बहुत जरूरी है। डीटीसी की धारा 314 में विभिन्न शब्दावलियों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। नए कानून में दी गईं इन परिभाषाओं के उद्देश्य और उनके हमारे कराधान पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से समझना बहुत जरूरी है। उदाहरण के लिए धारा 22 कर्मचारी के कुल वेतन पर लगने वाले कर के बारे में बताता है। हालांकि इस धारा में वेतन की विस्तृत परिभाषा नहीं दी गई है। अब इसे विस्तार से समझने के लिए हमें डीटीसी की धारा 314 को पढ़ना होगा।
(सुभाष लखोटिया,अमर उजाला,दिल्ली,19.9.2010)
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