उच्च शिक्षा ले रहे इन्दौर के छात्र विषयों को बेहतर ढंग समझने के लिए हिंदी को सबसे अच्छा जरिया मानते हैं। एक्सपर्ट्स भी कहते हैं कि ग्लोबल सिनेरियो में अंग्रेजी जरूरी है लेकिन लैंग्वेज के जिस माध्यम से स्टूडेंट्स को समझने में आसानी हो वह एजुकेशन में लागू की जा सकती है।
एसजीएसआईटीएस और आईईटी तो बाकायदा बीई के हिंदी सिलेबस के स्ट्रक्चर की प्लानिंग कर रहे हैं।
ड्यूअल लैंग्वेज का प्रयोग
स्टूडेंट्स हिंदी में ज्यादा सरलता से विषयों को समझता है। अब तो देश के उच्च संस्थानों में भी इंग्लिश के साथ हिंदी में लेक्चर दिए जाने लगे हैं। आईआईटी इंदौर के कम्प्यूटर साइंस प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र एस. चौधरी का कहना है देश के कई आईआईटीज में फैकल्टीज खुद हिंदी भाषा का प्रयोग करने लगे हैं। आईआईटी इंदौर में भी स्टूडेंट्स को प्रभावी तरीके से पढ़ाने के लिए मैं खुद अंग्रेजी सिलेबस को ड्यूअल लैंग्वेज में समझाने की कोशिश करता हूं।
दोनों भाषाओं में हो सिलेबस
हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले कई स्टूडेंट्स इंग्लिश सिलेबस के कारण इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट नहीं कर पाते। एसजीएसआईटीएस के डायरेक्टर डॉ. पी.के. सेन का कहना है हिंदी सिलेबस में भी इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट करने का प्रावधान किया जाना चाहिए। आईईटी के डायरेक्टर डॉ. मनोहर चंदवानी का कहना है वेस्टइंडीज और थाईलैंड के कई संस्थानों में इंदौर के टीचर्स हिंदी भाषा सिखा रहे हैं। प्रभाव बनाने के लिए अच्छी हिंदी भी जरूरी है।
चेंज हो रहा है सिनेरियो
आईआईएम में क्लास के दौरान सिर्फ अंग्रेजी में ही बात करने की परमिशन है लेकिन अब धीरे-धीरे यह सिनेरियो चेंज हो रहा है। स्टूडेंट्स आपस में डिस्कशन दोनों भाषाओं में करने लगे हैं। कई स्टूडेंट्स ऐसे भी हैं जिनकी अंग्रेजी बेहतर है वे भी अब हिंदी सुधारने के लिए दोस्तों का सहारा ले रहे हैं।
स्टूडेंट्स का मानना है हिंदी कम्युनिकेशन का बेहतर जरिया है। आईआईएम इंदौर के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट अफसर प्रशांत सालवन बताते हैं स्टूडेंट्स अंग्रेजी के साथ हिंदी का समावेश करने लगे हैं। पर्सनल मुद्दों पर डिस्कशन के दौरान तो स्टूडेंट्स पूरी तरह से हिंदी भाषा ही उपयोग में ला रहे हैं।
इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कोर्सेस की मोटी किताबों में कहीं भी हिंदी भाषा नजर नहीं आती है लेकिन फैकल्टीज क्लासेस में विषयों को प्रभावी तरीके से समझाने के लिए हिंदी का प्रयोग कर रहे हैं। स्टूडेंट्स को भी यही तरीका रास आ रहा है। आईआईएम इंदौर, आईआईटी इंदौर सहित एसजीएसआईटीएस और यूनिवर्सिटी के आईईटी और आईएमएस में यह फॉमरूला स्टूडेंट्स पर फिट बैठ रहा है(गजेन्द्र विश्वकर्मा,दैनिक भास्कर,इन्दौर,13.9.2010)।
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