पेक में जाली कागजात के आधार पर स्टूडेंट्स को दाखिला दिलवाने के मामले में पकड़े गए सरगना डॉ. निशिकांत आर्या को शुक्र वार को सीबीआई ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी जेएस सिद्धू की अदालत में पेश किया।
सीबीआई ने दलील दी कि आरोपी अकेला नहीं है, इसके गिरोह में और भी कई सदस्य हैं। सीबीआई ने कहा कि यह एक ऐसा घोटाला है जो, राष्ट्रीय नागरिकता से जुड़ा हुआ है। सीबीआई ने अभी देखना है कि आरोपी कि संपर्क में कितने और स्टूडेंट्स हैं और इसने कहां कहां पर उन्हें दाखिला दिलवाया है।
सीबीआई ने अदालत से 14 दिन का पुलिस रिमांड देने की मांग की, जिस पर अदालत ने निशिकांत को 7 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया।
सीबीआई वकील ने अदालत में दलील दी कि पकड़ा गया आरोपी निशिकांत जाली कागजात पर देश के अलग कॉलेजों में दाखिला दिलाता था। वह हर एक छात्र से 10 से 12 लाख रुपये फीस लेता था। सीबीआई ने आरोपी के घर से 50 जाली सर्टिफिकेट बरामद किए हैं। आरोपी ने सभी छात्रों को नेपाल की नागरिकता के जाली सर्टीफिकेट दे रखे थे ।
वहीं बचाव पक्ष के वकील ने अपनी दलील में अदालत में कहा कि निशिकांत पर आईपीसी की धारा 467 और 420 का मामला बनता ही नहीं है। यह मामला तो आईपीसी की धारा 473 का है। जब सीबीआई ने मामले में संपूर्ण रिकार्ड जब्त कर लिया है तो रिमांड बनता ही नहीं है। वहीं सीबीआई वकील ने दलील दी कि सीबीआई को निशिकांत के गिरोह में शामिल लोगों के बारे में पूछताछ करनी है। निशिकांत कर्नाटक स्थित सूरतकथ एनआईआईटी में कई लोगों के साथ संपर्क है।
सीबीआई को उन लोगों के बारे में भी पूछताछ करनी है। सीबीआई ने यह भी कहा कि आरोपी के पास से अलग अलग नोटरी की स्टैंप भी बरामद हुई हैं। इसके अलावा आरोपी के पास से 10चवीं और 12वीं के जाली सर्टिफिकेट भी बरामद हुए हैं। आरोपी ने सभी छात्रों का एनआरआई सीट के तहत डासा स्कीम में बच्चों को दाखिला दिलवाया था। इस आधार पर सीबीआई ने 14 दिन के पुलिस रिमांड की मांग की।
पकड़े गए स्टूडेंट्स सरकारी गवाह या सह आरोपी तय नहीं
आरोपी निशिकांत ने कहा कि वह तो हिसार कंसल्टेंसी एजेंसी चलाता था। उसके पास तो स्टूडेंट सलाह लेने आए थे। स्टूडेंट स्टूडेंट ही नेपाल की नागरिकता का सर्टिफिकेट लेकर आए थे। उसने कहा कि इस मामले में स्टूडेंट्स भी सह आरोपी हैं। सीबीआई अभी तक इस मामले में यह स्पष्ट नहीं कर पाई कि गिरफ्तार 11 स्टूडेंट्स सरकारी गवाह हैं या सह आरोपी ।
फेल स्टूडेंट को पास की डिग्री भी बनाकर देता था
सीबीआई सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार निशीकांत से मिले कंप्यूटर रिकार्ड, कलर प्रिंटर और फर्जी स्टेंप से इस बात का भी खुलासा हुआ है कि उसने विभिन्न कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज की डिग्री स्कैन की हुई थीं, उनमें नंबरों का हेरफेर कर फेल स्टूडेंट को पास की डिग्री भी बनाकर दे देता था। साथ ही उसने चंडीगढ़, हिसार, जींद, करनाल और हरियाणा के अन्य जिलों के नोटरी वकीलों के नाम से फर्जी नोटरी स्टैंप बनाई हुई थीं, जिनका इस्तेमाल वह डॉक्यूमेंट अटेस्टेशन में किया करता था।
अदालत में घबराया हुआ दिखा डॉ. निशीकांत
सीबीआई द्वारा जब निशीकांत को अदालत में पेश किया गया तो वह काफी घबराया हुआ दिखा। वह बार बार सीबीआई के एक अधिकारी से यही पूछता नजर आया कि वह स्टूडेंट्स कहां हैं, जिन्हें सीबीआई ने पकड़ा था। उसने यह भी कहा कि मैंने तो सब कुछ बता दिया है अब उनसे भी पूछताछ करो। उसने यहां तक कहा कि वे स्टूडेंट्स इन्नोसेंट नहीं हैं।
पेक में रेड पड़ते ही छिपा दिए थे सर्टिफिकेट
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि जिस दिन पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में सीबीआई रेड पड़ी थी। निशीकांत के भाई ने उसे फोन कर बता दिया था कि चंडीगढ़ में फर्जी सर्टिफिकेट का मामला सामने आया है, तुम अपने घर में पड़े फर्जी सर्टिफिकेट छिपा दो इस पर उसने आनन फानन में फर्जी(मनोज अपरेजा,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,10.9.2010)
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