यूपी बोर्ड हाईस्कूल, इंटरमीडिएट के परीक्षा फॉर्म अभी पूरी तरह भरे नहीं गए और परीक्षा केंद्रों को लेकर विवाद शुरू हो गया है। वर्ष २०११ की परीक्षा के लिए केंद्रों की जो सूची जिलों से क्षेत्रीय कार्यालयों और बोर्ड को दी गई है, उसमें भारी गड़बड़ियां हैं। लिस्ट से साफ है कि नकल माफिया ने जाल बिछाना शुरू कर दिया है और उनकी पकड़ ढीली होती नहीं दिख रही है।
नई सूची में शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारियों, बोर्ड एवं क्षेत्रीय कार्यालयों के बाबुओं तथा माननीयों के ऐसे विद्यालयों को केंद्र बनाया गया है, जिन्हें पिछले सत्र की परीक्षा में सामूहिक नकल कराने, सचल दस्ते के साथ मारपीट, फर्जी कक्ष निरीक्षकों से ड्यूटी कराने के आरोप में ब्लैक लिस्ट या रेड मार्क किया गया था।
प्रस्तावित लिस्ट में १८७४ ऐसे विद्यालय हैं जिन्हें लेकर विवाद है लेकिन बड़े लोगों के दबाव में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई और केंद्र बनाया गया। प्रदेश में यूपी बोर्ड से जुड़े लगभग २३ हजार विद्यालय हैं। पिछले वर्ष लगभग नौ हजार विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया गया था जिनमें से २७५० को इस बार बदलने की सिफारिश की गई थी। उन्हीं में से १८७४ विद्यालय ऐसे हैं जिन्हें गंभीर गड़बड़ियों के बाद भी केंद्र बना दिया गया। इन विद्यालयों का नाम काटने को लेकर क्षेत्रीय कार्यालय और बोर्ड के कुछ अधिकारियों में विवाद हो गया। कुछ अधिकारियों ने बोर्ड की इमेज का हवाला देकर उन विद्यालयों का नाम हटाने के लिए सचिव माध्यमिक शिक्षा को लिखा है। इस मामले में स्पष्टीकरण और परीक्षा को लेकर नीति साफ करने के लिए अधिकारियों को बुधवार को लखनऊ तलब किया गया था लेकिन मुख्ययमंत्री की तरफ से अचानक बसपा के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों की बैठक बुलाने के कारण बैठक टल गई(अमर उजाला,इलाहाबाद,2.9.2010)।
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