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19 सितंबर 2010

डॉक्टरों की कमी दूर करेगा एमसीआई

लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने और डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ
इंडिया (एमसीआई) ने अपने नियमों में बदलाव किए हैं। नए नियमों के मुताबिक अब मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए 25 एकड़ जमीन की बजाय केवल एक साथ 10 एकड़ जमीन की ही जरूरत पड़ेगी। सरकारी या प्राइवेट किसी भी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को अब कॉमन एलिजिबल एंट्रेंस टेस्ट देना होगा। मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाने वाले टीचर्स की रिटायरमेंट उम्र 65 से बढ़ाकर 70 साल करने का प्रस्ताव है। एमसीआई बोर्ड ने ये सारी सिफारिशें केंद सरकार को भेज दी हैं।

शनिवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में एमसीआई बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. एस. के. सरीन ने बताया कि ऐसे सरकारी या प्राइवेट मेडिकल कॉलेज जो पिछले 10 साल से चल रहे हैं और जिनके पास पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर है वे अपने यहां सीटों की संख्या बढ़ाकर 250 तक कर सकते हैं। बशतेर् उन्हें बेड की संख्या का अनुपात बढ़ाना होगा। यानी अगर किसी मेडिकल कॉलेज में 100 सीटें हैं तो उसके पास 500 बेड होने चाहिए।

अगर कोई मेडिकल कॉलेज 150 सीटों तक बढ़ाना चाहता है तो उसे 700 बेड तक की व्यवस्था करनी होगी। इसी तरह 200 सीटों के लिए 900 बेड व 250 सीटों के लिए 1100 बेड होने चाहिए। पहले 250 सीटों के लिए केवल 500 बेड तक का नियम था। नए कॉलेज खोलने के लिए 30 सितंबर तक आवेदन कर सकते हैं।

डॉ. सरीन का कहना है कि एमसीआई की इन नई सिफारिशों से देश में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी। अगर इन सिफारिशों के हिसाब से काम हुआ तो एक साल में ही डॉक्टरों की संख्या में आठ से 10 हजार तक का इजाफा होगा। इस समय देश में साढ़े सात लाख डॉक्टरों की कमी है। र्वल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मानकों के मुताबिक एक हजार लोगों पर एक डॉक्टर होना चाीहिए, लेकिन यहां 1700 लोगों पर एक डॉक्टर हैं।

नई सिफारिशों पर चलने के बाद भी इस गैप को भरने में 15 साल का समय लग जाएगा। अभी देश के कुल 314 मेडिकल कॉलेजों में 35,000 सीटें हैं और हर साल 23000 ग्रैजुएट डॉक्टर निकलते हैं। डॉक्टरों की इस कमी को पूरा करने के लिए अगर पांच साल में 500 मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे तभी डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जा सकता है।

डॉ. सरीन ने कहा कि सरकार को ज्यादा से ज्यादा मेडिकल कॉलेज खोलने होंगे, क्योंकि प्राइवेट कॉलेजों की फीस काफी ज्यादा है जो हर किसी के लिए अफोर्डेबल नहीं है। डॉक्टरों की कमी से हर साल साढ़े चार लाख महिलाएं मातृत्व मृत्यु की शिकार होती हैं। इस समय एमडी ऑब्स/गाइनी की सिर्फ 1071, एमडी एनेस्थीसिया की 1124, एमडी पीडियाट्रिक्स की 860 सीटें हैं और देश में हर साल 280 लाख बच्चे जन्म लेते हैं। एक गायनेकॉलजिस्ट एक दिन में 72 प्रसव कराती है(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,19.9.2010)।

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