मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

09 सितंबर 2010

सेमेस्टर पर डूटा से मिले डूसू के सुर

डीयू स्टूडेंट यूनियन (डूसू) के नए छात्र प्रतिनिधियों ने सेमेस्टर सिस्टम के मसले पर डूटा के सुर में सुर मिलाया है। डूटा जहां सेमेस्टर सिस्टम की खिलाफत कर रहा है, वहीं डूसू ने भी अपना अजेंडा साफ करते हुए कहा है कि मौजूदा सेशन में सेमेस्टर लागू नहीं किया जाना चाहिए। डूसू के रुख से यह साफ है कि आने वाले दिनों में यूनिवर्सिटी में सेमेस्टर की लड़ाई और गंभीर होने वाली है।

डूसू प्रेजिडेंट जितेंद्र चौधरी और सेक्रेटरी नीतू डबास की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि साइंस के जिन 13 कोसेर्ज में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया है, वहां सेमेस्टर सिस्टम के तहत पढ़ाई नहीं हो रही है। ऐसे में ये स्टूडेंट्स नवंबर में होने वाले फर्स्ट सेमेस्टर एग्जाम को कैसे दे पाएंगे? यूनिवर्सिटी ने डेटशीट भी जारी कर दी है।

डूसू का कहना है कि डूटा की हड़ताल और आंदोलन के चलते पहले ही पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है और अक्टूबर में कॉमनवेल्थ गेम्स के कारण यूनिवर्सिटी बंद रहेगी। डूसू ने कहा है कि सेमेस्टर सिस्टम अगले साल तभी लागू होना चाहिए, जब इस पर आम सहमति बने। इसके अलावा वाइस चांसलर को स्टूडेंट्स और टीचर्स के साथ सेमेस्टर से जुड़े मसलों पर विचार करना चाहिए।

डूसू ने अदिति कॉलेज की एक स्टूडेंट द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटना पर भी गहरा दुख जताते हुए कहा है कि यूनिवर्सिटी वेबसाइट पर दिए गए गलत रिजल्ट के कारण उस स्टूडेंट ने यह कदम उठाया। डूसू ने मांग की है कि इस घटना के जिम्मेदार अधिकारियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। खास बात यह है कि जिस तरह डूटा प्रो. दीपक पेंटल के वाइस चांसलर पद पर बरकरार रहने पर कड़ी आपत्ति जता रही है, उसी तर्ज पर डूसू ने भी कहा है कि कार्यकाल पूरा होने के बाद प्रो. पेंटल का पद पर बने रहना दुर्भाग्यपूर्ण है।

उधर, आम स्टूडेंट्स इस विवाद से खासे नाराज हैं। कुछ का मानना है कि उन्होंने सेमेस्टर सिस्टम में एडमिशन लिया है और डीयू ने नोटिफिकेशन जारी कर सेमेस्टर लागू किया है। ऐसे में सेमेस्टर को किस तरह वापस लिया जा सकता है? स्टूडेंट्स कन्फ्यूजन में हैं कि क्या करें? गौरतलब है कि वाइस चांसलर ने कुछ समय पहले कॉलेज प्रिंसिपलों को आगाह किया था कि वे अपने यहां सेमेस्टर के हिसाब से पढ़ाई करवाएं और इसके कानूनी पहलुओं पर भी गौर करें(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,9.9.2010)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।