बिहार सरकार ने अंगीभूत कॉलेजों को बीएड कोर्स शुरू करने के लिए अपने आंतरिक स्रोत का इस्तेमाल करने की अनुमति प्रदान कर दी है । साथ ही सभी विश्वविद्यालय के कुलपतियों को कोर्स शुरू करने के लिए कॉलेजों को मदद करने का निर्देश दिया गया है। राज्य सरकार ने पिछलों दिनों सभी अंगीभूत कॉलेजों को प्रस्ताव दिया था कि वे अपने यहां स्ववित्त पोषित बीएड कोर्स को शुरू करने के लिए एनसीटीई से मान्यता के लिए आवेदन भरें । इस संदर्भ में मानव संसाधन विकास विभाग के पूर्व सचिव के के पाठक तथा उच्च शिक्षा के निदेशक जेपी सिंह ने अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्यों की बैठक की थी। लेकिन उन अंगीभूत कॉलेजों के सामने सबसे बड़ी समस्या कोर्स शुरू करने के पहले साढे़ पांच लाख रुपया जुटाना है। पहले सरकार की ओर से कोर्स शुरू करने में कोई मदद नहीं मिलने की वजह से कॉलेज कोर्स शुरू करने में सुस्ती दिखाने लगे थे। इसे देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने बुधवार को सभी अंगीभूत कॉलेजों को आदेश किया है कि वे इस राशि की समस्या को दूर करने के लिए अपने आंतरिक स्रोत का इस्तेमाल कर सकते हैं । आवेदन की पूर्व अंगीभूत कॉलेजों को 40 हजार देकर एनसीटीई की कमेटी को कॉलेज में निरीक्षण के लिए बुलाना होगा। जिस कॉलेजों कोर्स शुरू करना है उसे पांच लाख का एफडी करवाना होता है । कोर्स शुरू करने को कॉलेज में बेहतर लैब, क्लास रूम, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ एमएड के सात ट्रेंड शिक्षकों का होना अनिवार्य माना गया है । इन कोरम को पूरा कराने के लिए कई कॉलेज जुट चुके हैं(हिंदुस्तान,पटना,9.9.2010)।
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दैनिक जागरण की रिपोर्टः
राज्य सरकार ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के अधीन 250 अंगीभूत कालेजों में से मजबूत आधारभूत संरचना वाले कालेजों में स्ववित्त पोषित बीएड कोर्स चलाने की तैयारी शुरू कर दी है। उच्च शिक्षा निदेशक जे.पी.सिंह ने कुलसचिवों को पत्र लिख कर निर्देश दिया है कि वे कोर्स चलाने को कालेजों में इसकी पढ़ाई शुरू कराने के लिए उन संस्थानों को एनसीटीई से मान्यता दिलाने की कार्रवाई करें। पत्र में कहा गया है कि निर्धारित प्रावधानों के तहत कोर्स चलाने के इच्छुक कालेजों को पांच लाख रुपये अपने पास इन्डावमेंट फंड में तथा तीन लाख रुपये रिजर्व फंड खाते में रख कर एनसीटीई को इसकी सूचना देनी होगी। एनसीटीई कालेज का निरीक्षण करेगा। इसके लिए कालेजों को आवेदन शुल्क के तौर पर एक हजार रुपये तथा निरीक्षण शुल्क के तौर पर 40 हजार रुपये देने होंगे। पत्र में कहा गया है कि निर्धारित राशि जुटाने में विश्वविद्यालय महाविद्यालयों की सहायता करें। वे इस कार्य के लिए अपने आंतरिक स्त्रोतों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मान्यता प्राप्त होने के बाद कालेज बीएड कोर्स चला कर अलग आमदनी कर सकेंगे। प्रदेश में निकट भविष्य में बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति होनी है मगर यहां पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षण संस्थान नहीं हैं। मात्र 67 मान्यता प्राप्त संस्थानों के माध्यम से इतने शिक्षक अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण दे पाना नामुमकिन है। अभी अधिकांश शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान निजी क्षेत्र में हैं। इस चुनौती का सामना करने के लिए ही सरकार ने अंगीभूत कालेजों को टटोला है।
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दैनिक जागरण की रिपोर्टः
राज्य सरकार ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के अधीन 250 अंगीभूत कालेजों में से मजबूत आधारभूत संरचना वाले कालेजों में स्ववित्त पोषित बीएड कोर्स चलाने की तैयारी शुरू कर दी है। उच्च शिक्षा निदेशक जे.पी.सिंह ने कुलसचिवों को पत्र लिख कर निर्देश दिया है कि वे कोर्स चलाने को कालेजों में इसकी पढ़ाई शुरू कराने के लिए उन संस्थानों को एनसीटीई से मान्यता दिलाने की कार्रवाई करें। पत्र में कहा गया है कि निर्धारित प्रावधानों के तहत कोर्स चलाने के इच्छुक कालेजों को पांच लाख रुपये अपने पास इन्डावमेंट फंड में तथा तीन लाख रुपये रिजर्व फंड खाते में रख कर एनसीटीई को इसकी सूचना देनी होगी। एनसीटीई कालेज का निरीक्षण करेगा। इसके लिए कालेजों को आवेदन शुल्क के तौर पर एक हजार रुपये तथा निरीक्षण शुल्क के तौर पर 40 हजार रुपये देने होंगे। पत्र में कहा गया है कि निर्धारित राशि जुटाने में विश्वविद्यालय महाविद्यालयों की सहायता करें। वे इस कार्य के लिए अपने आंतरिक स्त्रोतों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मान्यता प्राप्त होने के बाद कालेज बीएड कोर्स चला कर अलग आमदनी कर सकेंगे। प्रदेश में निकट भविष्य में बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति होनी है मगर यहां पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षण संस्थान नहीं हैं। मात्र 67 मान्यता प्राप्त संस्थानों के माध्यम से इतने शिक्षक अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण दे पाना नामुमकिन है। अभी अधिकांश शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान निजी क्षेत्र में हैं। इस चुनौती का सामना करने के लिए ही सरकार ने अंगीभूत कालेजों को टटोला है।
it should be done earlier
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