पहले विवादास्पद प्रश्नपत्र बनाने के चलते अपने दाहिने हाथ की हथेली गंवाई। फिर कॉलेज प्रबंधन ने गैर जिम्मेदाराना कृत्य का दोषी मानते हुए नौकरी से निकाल दिया। केरल के थोडुपुझा स्थित और गिरिजाघर द्वारा संचालित न्यूमैन कॉलेज के प्रोफेसर टीजे जोसफ ने इस दोहरी मार के बाद अब कॉलेज के फैसले के खिलाफ महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टयम के अपीली न्यायाधिकरण की शरण लेने का फैसला किया है। हालांकि, वे कैथोलिक गिरिजाघर के खिलाफ कुछ नहीं करना चाहते, जिसके डायसिस (गिरिजाघर की प्रशासनिक इकाई, जिसके मुखिया बिशप होते हैं) ने कॉलेज प्रबंधन के फैसले का समर्थन किया है। प्रोफेसर को बर्खास्त करने के संबंध में विश्वविद्यालय के दिशा-निर्देश के बावजूद कॉलेज प्रबंधन अपने फैसले पर कायम है। विश्वविद्यालय ने कॉलेज प्रबंधन से जोसफ को बर्खास्त न करने को कहा था। इसके बाद जोसफ की बहन स्टेला ने कहा कि उनके भाई ने पद पर बहाली के लिए न्यायाधिकरण की शरण में जाने का फैसला किया है। उन्होंने अपने भाई के हवाले से कहा, मैं कैथोलिक गिरिजाघर के खिलाफ कुछ नहीं करना चाहता, लेकिन कॉलेज प्रबंधन मुझे न्यायाधिकरण के पास जाने को मजबूर कर रहा है। बर्खास्ती का आदेश मिलने के बाद जोसफ ने कॉलेज प्रबंधन को पत्र लिखकर उन्हें माफ कर देने का अनुरोध किया है। प्रोफेसर को बर्खास्त को करने के फैसले पर सार्वजनिक आलोचना के मद्देनजर गिरिजाघर के डायसिस के बिशप जॉर्ज पुन्नाकोट्टील ने कहा कि कॉलेज मुस्लिमों की धार्मिक भावनाएं आहत करने के अपराध में सहभागी होने का आरोपी है। अब उसके प्रबंधन ने जोसफ के कृत्य से खुद को अलग करने का फैसला किया है। कोठामंगलम के डायसिस ने रविवार को होने वाली प्रार्थना के दौरान गिरिजाघरों में पढ़े जाने वाले अपने पत्र में लिखा कि जोसफ पर हमला उनके किए अपराध को निष्प्रभावी नहीं करता। किसी प्रोफेसर से इस तरह के गैर जिम्मेदाराना कृत्य की अपेक्षा नहीं थी। बिशप ने कहा, हम धर्मनिरपेक्षता के पक्ष में हैं। हम किसी को अपमानित नहीं करना चाहते। बीती 4 जुलाई को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कथित कार्यकर्ताओं ने जोसफ के दाएं हाथ की हथेली काट दी थी। यह घटना उस वक्त हुई जब वह मुवात्तुपुझा के एक गिरिजाघर से रविवार की प्रार्थना सभा से लौट रहे थे। कॉलेज की आंतरिक परीक्षा के लिए तैयार प्रश्न पत्र में जोसफ ने पैगंबर मुहम्मद के संदर्भ में कथित तौर पर अपमानजनक अंश शामिल किए थे। इस आरोप में उन्हें अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था और फिर जमानत पर रिहा कर दिया गया था(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण, १२.९.२०१०)।
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