राजस्थान विश्वविद्यालय में नई शिक्षक भर्ती और करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत शिक्षकों की पदोन्नति की प्रक्रिया पहले ही सुस्त गति से चल रही है। अब इसकी राह में एक अडंगा और लग गया है। नई भर्ती व पदोन्नति प्रक्रिया में शिक्षकों का चयन करने वाले विशेषज्ञों का पैनल बनाने वाली शॉर्टलिस्टिंग कमेटी ने विवि से ऎसी सूचनाएं मांगी हैं जो जुटाना बहुत मुश्किल है। विवि ने आरपीएससी के चेयरमैन की अध्यक्षता में गठित शॉर्टलिस्टिंग कमेटी की ओर से पैनल के सदस्यों के नाम के साथ चाही गई जानकारियां 10 दिन के भीतर सभी विभागों से मांगी थी लेकिन पंद्रह दिन बाद भी एक भी विभाग ने विवि को यह जानकारी नहीं दी है। कुछ विभागाध्यक्षों ने सभी सूचनाएं देने में असमर्थता जताई है। वर्ष 2004-05 में अंतिम बार पैनल बना था।
सूचनाएं जुटाना मुश्किल
शॉर्टलिस्टिंग कमेटी की ओर से मांगी गई कुछ सूचनाएं ऎसी हैं जो न तो गरिमापूर्ण हैं और न ही कोई विभाग जुटा पाएगा। विभागों से जुडे शिक्षकों का कहना है कि किसी विशेषज्ञ से यह पूछना संभव नहीं है कि उसके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई तो नहीं चल रही है। इसके साथ ही केवल ए अथवा ए-प्लस विवि में कार्यरत 40 विशेषज्ञों को ढूंढना कुछ विषयों के लिए असंभव है।
कुछ विभागाध्यक्षों का कहना है कि अब किसी विशेषज्ञ के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों में कितने शोधपत्र छपे हैं, उसकी प्रकाशित पुस्तकों के नाम व प्रकाशक के नाम, कितने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में हिस्सा लिया है, विशेषज्ञ के अधीन कितने छात्र पीएचडी, एमफिल आदि में पंजीकृत हैं तथा विशेषज्ञ के तौर पर आने के लिए संबंघित विशेषज्ञ की लिखित स्वीकृति 10 दिन तो क्या दो महीने में भी नहीं मिल पाएगी।
नहीं मिली जानकारी
शॉर्ट लिस्टिंग कमेटी की ओर से चाही गई विशेषज्ञ की सूची व सूचनाएं हमने विभागों से मांगी हैं। लेकिन अभी तक किसी भी विभाग ने सूची नहीं दी है, बल्कि कुछ विभागों ने सभी सूचनाएं जुटाने में असमर्थता जताई है-प्रो.नवीन माथुर, कुलपति के प्रशासनिक सचिव, राजस्थान विवि
"आयोग की ओर से मांगी गई सूचनाएं आज तक देश में कहीं भी किसी भी विवि में नहीं मांगी गई हैं, खुद आरपीएससी ने अपनी चयन प्रक्रिया में कभी ऎसे नियमों का पालन नहीं किया है"- जयंत सिंह, महासचिव, राजस्थान विवि शिक्षक संघ(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,3.9.2010)
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