मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

05 सितंबर 2010

बारह लाख शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है देश

जहां एक तरफ धूमधाम से शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है वहीं देश १२ लाख अध्यापकों की कमी से जूझ रहा है। इनमें से एक लाख शिक्षकों की कमी सिर्फ बिहार में है। यह सिर्फ प्राइमरी स्तर के शिक्षकों की कमी का आंक़ड़ा है। माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा में भी शिक्षकों का जबरदस्त अकाल है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों तथा दूसरे उच्च संस्थानों में भी शिक्षकों के एक तिहाई स्थान रिक्त प़ड़े हैं। यह कमी कैसे पूरी हो, इसके लिए अभी तक केंद्र और राज्यों की कोई कारगर रणनीति या टास्क फोर्स नहीं बनी है।

उधर, मध्य प्रदेश में वेतन न मिलने के चलते दो शिक्षकों की आत्महत्या भी शिक्षक दिवस की असलियत खोलने के लिए काफी है। शिवपुरी जिले में एक स्कूल के अध्यापक लखन सिंह ने महीनों से वेतन न मिलने से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। पिछले हफ्ते होशंगाबाद जिले के हरिकृष्ण ठाकुर ने भी इन्ही वजहों से आत्महत्या कर ली । शिक्षकों की कमी और इस भयानक स्थिति के बारे में जब नईदुनिया ने मानव संसाधन विकास मंत्री लेकिन वे नहीं कर रहे हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि शिक्षकों की इतनी ब़ड़ी कमी के साथ शिक्षा के अधिकार को लागू कर पाना संभव नहीं है। इस समय भारत में एक अध्यापक को औसतन ४२ बच्चे प़ढ़ाने प़ड़ते हैं जबकि शिक्षा के अधिकार के तहत यह अनुपात एक और ३० होना चाहिए। सिब्बल का कहना है कि राज्यों को शिक्षकों की भर्ती युद्धस्तर पर करनी चाहिए । भीषण बेरोजगारी से जूझ रहे भारत में सरकार का कहना है कि यह कमी इसलिए है क्योंकि लोग शिक्षक बनना ही नहीं चाह रहे हैं। प्राइमरी स्तर के जो १२ लाख शिक्षकों की कमी की बात सरकार मान रही है उनमें से १.७८ लाख शिक्षकों के पद सर्व शिक्षा अभियान के तहत रिक्त हैं। देश के १९ फीसदी प्राथमिक स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं और सिर्फ १६.२९ फीसदी स्कूलों में दो शिक्षक हैं। इन स्कूलों में ही देश के गरीब बच्चे प़ढ़ने को अभिशप्त हैं। उच्च शिक्षा का हाल भी बुरा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) जैसे शीर्ष संस्थानों में फैकल्टी का अभाव है। एक अनुमान के मुताबिक इनमें करीब एक तिहाई पद खाली हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों के ३५ फीसदी, आईआईएम के २५ फीसदी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के ३३ फीसदी और अन्य केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में ३५ फीसदी शिक्षकों के पद खाली हैं(भाषा सिंह,नई दुनिया,दिल्ली,5.9.2010)।

1 टिप्पणी:

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।