अनुदेशक चयन विवाद में आईटीआई के तत्कालीन निदेशक बीवी आर पुरुषोत्तम ने कहा कि अनुदेशकों का चयन नियमावली के अनुसार हुआ है। इस प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता अपनाई गई है। संप्रति ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी पुरुषोत्तम ने कहा कि आईटीआई में विभिन्न ट्रेडों के 419 पदों के लिए 14 अगस्त को देहरादून, हरिद्वार, श्रीनगर, काशीपुर, हल्द्वानी और अल्मोड़ा में लिखित परीक्षा आयोजित की गई। 27 अगस्त को परीक्षा परिणाम घोषित किए गए। उन्होंने कहा कि लिखित परीक्षा में केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त सीटीआई व टीटीटीआई सर्टिफिकेट धारकों के अलावा दूसरे अभ्यर्थियों को भी शामिल किया गया। परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है।
पूर्व निदेशक ने कहा कि नियमावली में सर्टिफिकेटधारकों और दूसरे अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा अलग-अलग कराए जाने का प्रावधान नहीं है। जिन अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका वे मेरिट में पिछड़ गए है। क्या कहता है विज्ञापन अनिवार्य योग्यता सीटीआई/ टीटीटीआई धारक के उपलब्ध न होने पर सुयोग्य अभ्यर्थी नियुक्त किए जा सकेंगे। ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्ति के चार वर्ष में अपने व्यय पर सीटीआई टीटीटीआई का प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा। प्रशिक्षण अवधि में कर्मचारी मूल वेतन प्राप्त करता रहेगा। अन्यथा ऐसे नियुक्त कर्मचारी को सेवा से पृथक कर दिया जाएगा। अभ्यर्थियों का आरोप विज्ञापन के आधार पर पहले सीसीआई/ टीटीटीआई प्रशिक्षितों का चयन किया जाना चाहिए था। उसके बाद रिक्त पदों पर अन्य सुयोग्य अभ्यर्थियों को रखा जाता। मेरिट के आधार पर बिना प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यथियों को उत्तीर्ण कर प्रशिक्षितों को अवसर नहीं दिया गया(राष्ट्रीयसहारा,देहरादून,3.9.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।