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02 सितंबर 2010

इंटरनेट पर घोषित परिणाम ही पर्याप्त नहीं- इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंटरनेट पर की गई परीक्षा परिणाम की घोषणा को परिणाम घोषित करने का एकमात्र आधार मानने से इंकार किया है। इंटरनेट पर जारी किया गया रिजल्ट सूचनार्थ होता है और उसका प्रयोग प्रमाणित प्रति के तौर पर नहीं किया जा सकता है। न्यायालय का मत है कि भारत एक गरीब देश है और अभी भी यहां की अस्सी फीसदी आबादी की पहुंच इंटरनेट तक नहीं है। इन परिस्थितियों में सिर्फ इंटरनेट पर की गई घोषणा ही पर्याप्त नहीं मानी जा सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति शिशिर कुमार ने सीबीएसई बोर्ड की हाईस्कूल की छात्रा रुपल मिश्रा की याचिका पर दिया। सीबीएसई ने रुपल मिश्रा द्वारा दिया गया स्क्रूटनी का आवेदन इस आधार पर निरस्त कर दिया था कि बोर्ड ने परीक्षा परिणाम की घोषणा २१ मई को इंटरनेट पर कर दी थी। स्क्रूटनी का आवेदन परीक्षा परिणाम की घोषणा के २१ दिन के भीतर किया जाना चाहिए था। रुपल को अंकपत्र और सत्यापन फार्म १६ जून को प्राप्त हुआ । इसके बाद उसने स्क्रूटनी के लिए आवेदन किया, जिसे बोर्ड ने रद्द कर दिया। अदालत ने सीबीएसई बोर्ड द्वारा रुपल केआवेदन को रद्द करने का आदेश खारिज कर दिया है। आवेदन की मियांद याची को सत्यापित अंकपत्र मिलने की तिथि से मानी जानी चाहिए। इसलिए याची द्वारा दिए गए आवेदन को समय सीमा के भीतर माना जाए(अमरउजाला,इलाहाबाद,31.8.2010)।

2 टिप्‍पणियां:

  1. कोर्ट अपने नोटिस तो इंटरनेट से भेजना वैध मानते हैं पर दूसरों को इसकी सलाह नहीं देते...परस्पर विरोधी नहीं लगता!

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  2. T 20 world cup me silectero ko ojha or ishhwer pande ko khilane k liye select karna cahiye taking Tim ka talmel bana rage because bada tunna mint h

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