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05 सितंबर 2010

पंजाबःअनुबंधित शिक्षक-कर्मचारी स्थायी होंगे

पंजाब सरकार ने शिक्षा विभाग में ठेके पर रखे गए कर्मचारियों एवं अध्यापकों को रेगुलर करने का फैसला किया है। यह फैसला विभाग में ठेके पर रखे गए कर्मचारियों व अध्यापकों की लंबित मांगों को देखते हुए किया गया है।

ये कर्मचारी अपनी मांगें न माने जाने पर आगामी विधानसभा चुनाव में अकाली भाजपा सरकार को करारा झटका देने की बार-बार चेतावनी दे रहे थे। बादल सरकार ने अब उन्हें खुश करने के लिए यह फैसला किया है। इस फैसले पर अंतिम मुहर जल्द ही लगाए जाने की संभावना है।

अगले वर्ष से हो सकती हैं रेगुलर सेवाएं शुरू

मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने हाल ही में चंडीगढ़ में शिक्षा विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय के आला अधिकारियों की बैठक ली। इसमें शिक्षा विभाग में ठेके पर रखे गए कर्मचारियों को रेगुलर करने संबंधी विचार विमर्श किया गया। तमाम पहलुओं पर विचार करने के बाद ठेके पर रखे गए कर्मचारियों को रेगुलर करने का फैसला ले लिया गया।

सूत्रों का कहना है कि ठेके पर रखे गए कर्मचारियों की रेगुलर सेवाएं अगले वर्ष से शुरू की जा सकती हैं, क्योंकि अधिकारियों का मानना है कि ठेके पर रखे गए कर्मचारियों को रेगुलर करने का फैसला लेने के बाद भी इस काम को सिरे चढ़ाने में कुछ माह लग सकते हैं।

भर्ती पर सवालिया निशान

पंजाब सरकार ने ठेके पर रखे गए कर्मचारियों को रेगुलर करने का फैसला तो कर लिया है लेकिन अध्यापकों एवं विभाग के अन्य कर्मचारियों की भविष्य में होने वाली भर्ती रेगुलर होगी या ठेके पर, इस बारे में अभी कोई स्पष्ट फैसला नहीं लिया जा सका है। पर माना जा रहा है कि शिक्षा विभाग में आगामी होने वाली भर्तियां भी अब रेगुलर करने पर ही सभी आला अधिकारी अपनी सहमति दे देंगे।

राजनीतिक मुद्दा बन गया था वादा

शिक्षा विभाग में ठेके पर रखे कर्मचारियों को रेगुलर करने की मांग विपक्षी दलों द्वारा भी उठाई जा रही थी। यहां तक कि इसे अब राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा था। इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहिंदर सिंह केपी ने अध्यापकों पर हो रहे दिन ब दिन लाठीचार्ज की कड़ी निंदा करने के साथ इन कर्मचारियों को रेगुलर करने की बार-बार मांग उठाई थी।

यहां तक कि उन्होंने अकाली भाजपा सरकार पर यह भी आरोप लगाया था कि प्रकाश सिंह बादल ने सत्ता में आने से पहले कर्मचारियों से जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया गया है। जिनमें ठेके पर रखे गए अध्यापकों को रेगुलर करने का वादा मुख्य था। कर्मचारी भी इसी वादे की दुहाई देकर कई बार प्रदर्शन कर चुके थे(सुखबीर सिंह बाजवा,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,5.9.2010)।

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