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16 सितंबर 2010

यूपीःलाखों कर्मियों की पेंशन का रास्ता साफ

उत्तरप्रदेश में नयी पेंशन योजना (एनपीएस) लागू होने के पांच साल बाद भी इसके लाभ से वंचित लाखों कर्मचारियों-शिक्षकों के लिए राहत भरी खबर है। एनपीएस को अमली जामा पहनाने के लिए राज्य सरकार जल्दी ही नेशनल सेक्योरिटीज डिपाजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) और न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) ट्रस्ट से करार करने जा रही है। इस संबंध में एनएसडीएल और एनपीएस ट्रस्ट द्वारा भेजे गए करार के प्रारूपों पर न्याय विभाग ने अपनी मुहर लगा दी है। मुख्यमंत्री ने भी दोनों संस्थाओं से करार के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। प्रमुख सचिव वित्त अनूप मिश्र ने इसकी तस्दीक की है। एनएसडीएल और एनपीएस ट्रस्ट से करार होने के बाद प्रदेश में नयी पेंशन योजना व्यावहारिक तौर पर लागू हो सकेगी। करार होने पर प्रदेश में पहली अप्रैल 2005 से लेकर अब तक राज्य सरकार की सेवा, शासकीय सहायताप्राप्त विद्यालयों और सरकार के अधीन स्वायत्तशासी संस्थाओं में भर्ती हुए तकरीबन ढाई लाख कर्मचारियों व शिक्षकों को नयी पेंशन योजना का वास्तविक लाभ मिलने लगेगा।
नेशनल सेक्योरिटीज डिपाजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) से करार होने के बाद राज्य में नयी पेंशन नीति से आच्छादित सभी कर्मचारियों और शिक्षकों के पेंशन खातों का रखरखाव एनएसडीएल के सुपुर्द कर दिया जाएगा। ऐसा होने पर पहली अप्रैल 2005 या उसके बाद अशासकीय सहायताप्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों और सरकार के नियंत्रणाधीन स्वायत्तशासी संस्थाओं में नियुक्त हुए तकरीबन दो लाख कर्मचारियों के मासिक वेतन से पेंशन के अंशदान की कटौती शुरू हो सकेगी। वहीं एनपीएस ट्रस्ट से करार होने पर पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से होने वाली मासिक कटौती और उसके सापेक्ष सरकार की ओर से प्राप्त होने वाले अंशदान का संरक्षण एनपीएस ट्रस्ट के हवाले हो जाएगा। केन्द्र सरकार की तर्ज पर राज्य सरकार ने 28 मार्च 2005 को प्रदेश में नयी पेंशन योजना को लागू करने की घोषणा की थी। राज्य सरकार की सेवा, शासन के नियंत्रणाधीन स्वायत्तशासी संस्थाओं और शासकीय सहायताप्राप्त शिक्षण संस्थाओं में एक अप्रैल 2005 और उसके बाद हुईं सभी नयी भर्तियों पर नयी अंशदायी पेंशन योजना अनिवार्य रूप से लागू की जा चुकी है। इस योजना के तहत पेंशन अंशदान के लिए हर कर्मचारी के मासिक वेतन से 10 प्रतिशत की कटौती करने का प्रावधान है। इस राशि के बराबर सेवायोजक का अंशदान सरकार अथवा संबंधित स्वायत्तशासी संस्था/शिक्षण संस्थान को करना है। राज्य सरकार ने नयी पेंशन नीति को अपना तो लिया लेकिन क्रियान्वित नहीं कर पा रही है। वजह यह है कि सरकार के पास नयी पेंशन योजना से आच्छादित कर्मचारियों के पेंशन खातों के रखरखाव के लिए संसाधन ही नहीं है। इसी वजह से पहली अप्रैल 2005 के बाद से अब तक अशासकीय सहायताप्राप्त विद्यालयों में नियुक्त हुए शिक्षकों और सरकार के अधीन स्वायत्तशासी संस्थाओं में नियुक्त कर्मचारियों के वेतन से पेंशन की मासिक कटौती नहीं की जा रही है। पेंशन निदेशालय सिर्फ पहली अप्रैल 2005 या उसके बाद नियुक्त हो चुके तकरीबन 50 हजार राज्य कर्मचारियों के पेंशन खातों का ही रखरखाव कर पा रहा है। नयी पेंशन नीति के तहत सरकारी कर्मचारियों के अंशदान से प्राप्त होने वाली धनराशि को फंड मैनेजर्स के जरिये निवेश और वित्तीय प्रबंधन का भी प्रावधान है लेकिन इस पर अमल नहीं हो पा रहा है(राजीव दीक्षित,दैनिक जागरण,लखनऊ,16.9.2010)।

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