आईआईएम इंदौर देश का पहला बिजनेस स्कूल है, जिसने यह प्रयास किया है। प्रोजेक्ट में राजपुरा कुटी के दो, यशवंतनगर पंचायत और आईआईएम कैम्पस से लगा एक-एक गांव शामिल किया गया है। इन गांवों का सर्वे कर ऐसे लोगों को ढूंढा गया, जो बैंक और इंश्योरेंस सेक्टर से पूरी तरह कटे हुए हैं और अपनी जरूरतों के लिए महाजन आदि पर निर्भर हैं।
डेढ़ महीने की मेहनत से स्टूडेंट्स ने जानापावकुटी, राजपुराकुटी, बरकुआ, बजरंगपुरा, टेरकी एवं सोनवाय में ऐसे 685 परिवार ढूंढे। बैंक अकाउंट खोलने के लिए इनके फोटो, एड्रेस प्रूफ सहित तमाम दस्तावेज तैयार कराए। इंश्योरेंस से जोड़ने के लिए सभी को जनता एक्सीडेंट पॉलिसी दिलाई जा रही है। पहले साल का प्रीमियम भी आईआईएम के सात सौ स्टूडेंट्स ने (प्रति स्टूडेंट 100-100 रुपए) मिलकर भरा है।
समन्वय की मीडिया कमेटी के सेक्रेटरी अभिषेक चटर्जी कहते हैं आरबीआई द्वारा इन लोगों को मुख्यधारा में लाने के कई प्रयास किए जा रहे हैं। बावजूद इसके लोग स्वरोजगार व अन्य जरूरतों के लिए महाजन पर निर्भर हैं। ये लोग उनका शोषण करते हैं। इसी को देखते हुए यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। प्रोजेक्ट 2 से 4 दिसंबर तक होने वाले आईआईएम के वार्षिक फेस्ट आह्वान की कड़ी में आयोजित हो रहा है।
नई शुरुआत आज से
स्टूडेंट्स द्वारा चिन्हित 6856 हितग्राहियों को 21 सितंबर को जीरो बैलेंस के बैंक अकाउंट और जनता एक्सीडेंट पॉलिसी दी जाएगी। दो स्थानों पर कार्यक्रम होगा। पहला कार्यक्रम सुबह 9 बजे आईआईएम ऑडिटोरियम में होगा। शुरुआत डायरेक्टर डॉ. एन. रविचंद्रन करेंगे।
वे प्रोजेक्ट की रूपरेखा से अवगत कराएंगे। फाइनो फिन्टेक फाउंडेशन के डायरेक्टर तरुण अग्रवाल, बैंक ऑफ इंडिया के अफसर एवं इंश्योरेंस कंपनी के पदाधिकारी अपने-अपने सेक्टर की जानकारी देंगे। इसी तरह 8.30 बजे जानापाव कुटी में भी कार्यक्रम होगा(दैनिक भास्कर,इन्दौर,21.9.2010)।
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