हिमाचल गवर्नमेंट टीचर यूनियन ने स्कूल शिक्षा बोर्ड में हुए फर्जीवाड़े को बोर्ड की लापरवाही का बड़ा मामला करार दिया है। यूनियन ने मांग की है कि पिछले 10 वर्षो में हुई नियुक्तियों और पदोन्नतियों को भी जांच होनी बेहद लाजिमी है।
हमीरपुर में जारी एक साझे प्रेस बयान में यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष पीसी कपूर, प्रेस सचिव प्रदीप ठाकुर, मुख्यालय सचिव दलीप वर्मा, महामंत्री ओंकार राणा, उपप्रधान केडी शर्मा, कोषाध्यक्ष अशोक गुप्ता और संगठन सचिव नारायण ठाकुर सहित कई पदाधिकारियों ने कहा है कि इस फर्जीवाड़े में दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
संघ ने यह भी मांग की है कि इस फर्जीवाड़े में जितने भी लोग संलिप्त हैं उनका खुलासा किया जाए। संघ ने कहा कि फर्जीवाड़े में बहुत सारे लोग शामिल हैं। इन्होंने बतौर कॉक्स काम किया है। भारत के सभी शिक्षा बोर्डों में हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड का नाम सबसे ऊंचा रहता आया है, लेकिन बोर्ड की इस निक्कमी कार्यप्रणाली ने बहुत बड़ा सवालिया निशान लगाए हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस फर्जीवाड़े की आड़ में शिक्षक वर्ग को बेवजह तंग किया जा रहा है, उन्हें जांच के नाम पर बार-बार बुला कर बेवजह मानसिक प्रताड़ना तो दी ही जा रही है, उनके चरित्र का भी हनन किया जा रहा है।
शिक्षकों का केवल दोष यही है कि उन्होंने मूल्यांकन का कार्य किया है। दरअसल उत्तर पुस्तिकाएं वास्तविक हैं या फर्जी यह सब देखना बोर्ड का काम है। उन्होंने आशंका जताई कि बोर्ड की इस लापरवाही के कारण जाली प्रमाण पत्रों से जिन लोगों ने नौकरी हथियाई है, उसकी भी जांच होनी चाहिए ताकि नियुक्तियों और पदोन्नतियों के जरिए यह मामले उजागर होकर वास्तवित स्थिति सामने आ सके।
हिमाचल गवर्नमेंट टीचर यूनियन ने मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री से गुजारिश की है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने और निर्दोष शिक्षकों की प्रताड़ना शीघ्र बंद करवाई जाए ताकि आठवीं, दसवीं और जमा एक व दो स्तर तक बगैर परीक्षा दिए पास हो गए छात्रों की सच्चई अब पूरी तरह सामने आ जाए(दैनिक भास्कर,हमीरपुर,13.10.2010)।
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