शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा न सिर्फ छात्रों के लिए है, बल्कि शिक्षकों के लिए भी है। हायर सेकंडरी या ग्रेजुएशन में पचास फीसदी से कम अंक लाने वालों को अब शिक्षक बनने का मौका नहीं मिलेगा। व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा निकट भविष्य में आयोजित होनी वाली शिक्षक चयन पात्रता परीक्षा में ऐसे उम्मीदवार किस्मत नहीं आजमा सकेंगे।
शिक्षा का अधिकार नियम-09 को लागू करने की तैयारी कर रहे स्कूल शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार प्राइमरी में पढ़ाने के लिए शिक्षकों का पचास प्रतिशत नंबरों के साथ हायर सेकंडरी व डीएड भी होना जरूरी होगा। वहीं, मिडिल स्कूल में पढ़ाने के लिए उम्मीदवार के पास पचास प्रतिशत नंबरों के साथ बीएड की डिग्री होना चाहिए।
जानकारी के अनुसार अभी तक हायर सेकंडरी या ग्रेजुएशन में जिन उम्मीदवारों के पास 45 प्रतिशत तक नंबर के साथ क्रमश: डीएड या बीएड होता था, वे इस परीक्षा में बैठ सकते थे। नई व्यवस्था के तहत अब ऐसे उम्मीदवार परीक्षा नहीं दे सकेंगे।
सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश में शिक्षकों के चयन के लिए ली जाने वाली पात्रता परीक्षा का पैटर्न देश के अन्य राज्यों द्वारा भी अपनाया जा सकता है। केंद्र सरकार इस मामले में जल्द ही एक अधिसूचना जारी करने जा रही है। केंद्र सरकार का मानना है कि मध्यप्रदेश में शिक्षकों के चयन के लिए होने वाली परीक्षा का पैटर्न काफी बेहतर है,जिसे अन्य राज्यों में भी अपनाया जाना चाहिए(दैनिक भास्कर,भोपाल,13.10.2010)।
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