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13 अक्तूबर 2010

एक रैंक, एक पेंशन को लेकर दबाव बढ़ा

पूर्व सैनिकों के लिए समान रैंक, समान पेंशन की मांग पर केंद्र की आनाकानी के बीच अब रक्षा मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति ने मामले को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया है। संसदीय समिति के मुखिया सतपाल महाराज ने रक्षामंत्री एके एंटनी को चिट्ठी लिखकर पूर्व सैनिकों की इस मांग पर नए सिरे से विचार करने को कहा है। हालांकि इस मुद्दे की पेंचीदगी को लेकर परेशान रक्षा मंत्रालय फिलहाल कोई भी वादा करने को राजी नहीं है। दैनिक जागरण से बातचीत में सतपाल महाराज ने कहा कि संसदीय समिति सैनिकों से जुड़े इस अहम मसले पर कई बार सरकार का ध्यान खींचती रही है, लेकिन कोई फैसला नहीं लिया गया। पूर्व सैनिकों के लगातार मेडल वापस करने से पैदा हालात के मद्देनजर यह जरूरी है कि सरकार इस मामले पर गंभीरता से विचार करे। रक्षा मंत्रालय से संबंधित स्थायी संसदीय समिति के प्रमुख ने सांसदों के वेतन भत्तों में हाल के दिनों में हुई बढ़ोतरी के मद्देनजर पूर्व सैनिकों की मांग को और भी प्रासंगिक और जायज करार दिया। संसदीय समिति के अध्यक्ष ने रक्षामंत्री को यह चिट्ठी राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर की मुहिम के समर्थन में लिखी है। चंद्रशेखर ने बीते दिनों इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों को पत्र लिखकर पूर्व सैनिकों की इस मांग का स्वीकार किए जाने का आग्रह किया था। चंद्रशेखर के पत्र के जवाब में रक्षामंत्री एके एंटनी ने भरोसा दिलाया कि उनका मंत्रालय इस मुद्दे को देख रहा है। उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे को लेकर बीते दिनों संसद के मानसून सत्र में भी चिंता के सुर उठे थे। गत 25 अगस्त को राज्यसभा में पूर्व सैनिकों की पदक वापसी को लेकर उठी चिंताओं के जवाब में रक्षा मंत्री ने उनके हितों पर सहानुभूति तो जताई, लेकिन बीते करीब दो दशकों से चली आ रही इस मांग को स्वीकार करने से हाथ खड़े कर दिए। एंटनी का साफ कहना था कि इस मसले पर कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर की अगुवाई में बनी समिति की सिफारिशों को लागू करने के बाद एक रैंक एक पेंशन की मांग के कई पैमाने पूरे हुए हैं, लेकिन इसे सीधे स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि इसके कई दूसरे प्रभाव होंगे। एक रैंक-एक पेंशन से जुड़े सवालों पर रक्षा मंत्रालय की ओर से चंद्रशेखर समिति की पांचों सिफारिशें को स्वीकार करने के बाद सरकारी खजाने पर 2200 करोड़ रुपये के अतिरिक्त भार की भी दलील दी जाती है(दैनिक जागरण,दिल्ली,13.10.2010)।

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