सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जजों के पास उनकी नियुक्ति के समय कंप्यूटर की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए। यदि कोई उम्मीदवार इस वांछनीयता को पूरा नहीं करता है तो उसे नौकरी देने से इंकार किया जा सकता है।
न्यायाधीश मुकुंदकम शर्मा और एआर दवे की पीठ ने यह व्यवस्था सिविल जज बनने के प्रत्याशी विजेंद्र कुमार वर्मा की याचिका खारिज करते हुए दी। वर्मा ने अपनी याचिका में उत्तराखंड सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। सरकार ने उनकी उम्मीदवारी खारिज कर दी थी क्योंकि उनके पास कंप्यूटर की बुनियादी जानकारी नहीं थी।
पीठ ने अपने फैसले में कहा, 'यह समझा जाना चाहिए कि भारतीय न्यायपालिका अदालतों के कारगर प्रबंधन के लिए ई-शासन लागू करने के लिए कदम उठा रही है। निकट भविष्य में देश की सभी अदालतें कंप्यूटरीकृत की जाएंगी। उस संदर्भ में नियुक्ति किए जा रहे नए जजों से उम्मीद की जाती है कि उन्हें कंप्यूटर चलाना आता हो।'
पीठ ने कहा, 'जज बनने के लिए कंप्यूटर की बुनियादी जानकारी होने की अनिवार्य शर्त की अनदेखी करना अनुचित होगा। इसलिए हमारी राय में कंप्यूटर की जानकारी होने की वांछनीयता की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।'
वर्मा ने उत्तराखंड न्यायिक सेवा के नियम आठ के तहत दीवानी जजों की सीधी भर्ती की पात्रता शर्तो को चुनौती दी थी। उसमें कानून की डिग्री के साथ हिंदी और कंप्यूटर की बुनियादी जानकारी होने की शर्त रखी गई थी। वर्मा ने लिखित व साक्षात्कार में अच्छे अंक अर्जित किए थे लेकिन कंप्यूटर की जानकारी न होने के कारण उसका चयन नहीं किया गया था। वर्मा ने पहले हाई कोर्ट में इसे चुनौती दी। हाई कोर्ट में उसकी याचिका खारिज होने के बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी(दैनिक जागरण संवाददाता,दिल्ली,14.10.2010)।
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