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14 अक्तूबर 2010

लोककला और संस्कृति बनेंगी कोर्स का हिस्सा

देश में लोक गीत-संगीत, नृत्य, नाटक आदि को स्कूल और कॉलेज में पढ़ाए जा रहे विषयों में शामिल किया जाएगा। केंद्र सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग के सचिव जवाहर सरकार का कहना है कि लोक संस्कृति से जुड़ी चीजें देश की अमिट धरोहर हैं। इन्हें र हाल में बचाए रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज की नई पीढ़ी लोक गतिविधियों से दूर जा रही है, वह चिंता की बात है। लोक कला व संस्कृति को स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को पत्र भी भेजा गया है। राष्ट्रमंडल खेल के मद्देनजर संगीत नाटक अकादमी द्वारा राजधानी में देश के लोक संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम देशपर्व को समापन पर जवाहर ने कहा कि लोक कला-संस्कृति को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) की निदेशक अनुराधा कपूर की अध्यक्षता में समिति भी बनाई गई है। इसकी ओर से यूजीसी को पत्र भेजा गया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए अभी बैठक भी होनी है। इसके लिए राज्य सरकारों से भी बातचीत होगी। लोक परंपराओं को साहित्य पाठ्य पुस्तक से संबद्ध किया जाएगा। साथ ही इस पर भी विचार हो रहा है कि लोक कला-संस्कृति और परंपरा को लेकर किताब शुरू की जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो छात्र राष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित कठपुतली से रूबरू हो सकेंगे बल्कि बिहार के पखावज, असम के छऊ, केरल के कुट्टियम, उड़ीसा के कुचिपुड़ी आदि के बारे में जान सकेंगे(दैनिक जागरण,दिल्ली,14.10.2010)।

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