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12 अक्तूबर 2010

गलती को स्वीकारना सीखें

कार्यस्थल पर गलतियां होना कोई बड़ी बात नहीं। इनसे हमें जो सबक मिलता है, उससे कार्य की गुणवत्ता और बढ़ जाती है।पर सवाल यह है कि क्या हम अपनी गलतियों को स्वीकार कर पाते हैं। क्या सभी उस सच का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं, जो गलती होने के बाद मुंह बाए खड़ा रहता है? बिल्कुल नहीं। इस सच का स्वरूप भयावह होता है। इसी का परिणाम होता है कि ज्यादातर गलतियां महज एक गलती न होकर, एक बड़े मुद्दे में तब्दील हो जाती हैं। मतलब साफ इनसे चीजें बेहतर होने की बजाय और बिगड़ने लगती हैं। वहीं, गलती स्वीकारने से कई तरह की परेशानियों से बच तो सकते ही हैं, इससे एम्प्लाई के खुद की छवि भी बेहतर बनती है। लेकिन कैसे संभव है ऐसा? इसके लिए यहां दिए गए कुछ टिप्स अमल में लाइए, फिर देखिए असर होता है या नहीं! 

डर से मुक्ति गलतियां होने के बाद क्या होगा? ऐसा न हुआ तो? बॉस क्या कहेंगे? जैसे तमाम सवालों के घेरे में आप खुद को पाते हैं। बेहतर होगा आप अपनी गलती को बिना अधिक देर किए, तुरंत कबूल करें। याद रखें, अपनी गलतियों को कबूल करने के कई फायदे हैं। पहला, आप भावी गड़बडि़यों को रोक कर डैमेज कंट्रोल में मदद कर सकते हैं। कुछ जरूरी सूचनाएं, जो आपकी वजह से कहीं रुक गई हैं, उन्हें गति मिल सकती है। और सबसे बड़ी बात, तुरंत गलतियों को स्वीकार करने से आपकी विश्र्वसनीयता पर भले ही तात्कालिक विराम लग जाती हो, लेकिन अंतत: आप बन जाते हैं सबके खास। होगी आपकी जीत गलती को स्वीकार करने या उसकी जिम्मेदारी लेने के बाद संभावित बातों को जेहन में रखें। मसलन, आपने तय समय पर तो अपना असाइनमेंट सबमिट कर दिया, लेकिन उसमें कुछ जरूरी सूचनाएं जोड़ना भूल गए। इससे कंपनी को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। आखिरकार आपकी बॉस के सामने पेशी हुई और तमाम सवाल-जवाबों के बीच नौकरी तक से निकाले जाने की चेतावनी भी मिली..। क्या करेंगे आप? यह आपको जरूर पता होना चाहिए। इस तरह, अपना स्पष्टीकरण के साथ-साथ समस्या का हल भी आपके पास हो। 

ध्यान रखें, किसी भी बड़े स्तर के टास्क या प्रोजेक्ट के लिए केवल आप ही जिम्मेदार नहीं होते। आपके काम से और भी लोग जुड़े होते हैं। इसलिए उस काम से जुड़ी गलती की जिम्मेदारी उनकी भी होती है। बॉस ये बातें अच्छी तरह से जानते हैं, इसलिए वे आपसे समस्या का बेहतर हल की मांग ज्यादा करते हैं। इसलिए गलती होने पर उसकी बेहतर भरपाई के बारे में सोचें न कि अपनी गलती को कोसने में समय गवाएं। तौबा आरोप-प्रत्यारोप से आप किसी गलती के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार न हों, इसका मतलब यह नहीं कि आप इसे अपने व्यवहार से भी व्यक्त करें! दरअसल, गलती का सामना करने से बचने के लिए अक्सर लोग दूसरों पर दोष मढ़ना शुरू कर देते हैं। इस तरह की अनुचित प्रवृत्ति से न केवल काम का कीमती समय खराब होते हैं, बल्कि इससे वर्किंग रिलेशनशिप भी तनावपूर्ण हो जाता है। सबसे बड़ी सोच किसी भी चीज का असर आपकी सोच पर निर्भर करता है। हममें से ज्यादातर यही सोचते हैं कि अच्छे एम्प्लाई का मतलब है-जो बिल्कुल गलतियां न करता हो। वास्तव में ऐसा नहीं है। याद रखें, गलतियां होना मनुष्य का स्वभाव है, यह कहावत ही नहीं, एक तथ्य भी है। बेहतर होगा कि आपसे कम से कम गलतियां हों और यदि कोई बड़ी गलती हो जाए, तो उससे सबक जरूर लें(सीमा झा,दैनिक जागरण,12.10.2010)।

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