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12 अक्तूबर 2010

अपनी ख़ूबियों को पहचानें

हर व्यक्ति एक जैसा नहींहोता। हर व्यक्ति की अपनी कुछ खूबियां होती हैं। और उसकी यही खूबियां उसे दूसरे से अलग करती है। सबसे पहले आप अपनी इन खूबियों को पहचानें। हर व्यक्ति की शक्ति, सोच, सपनें, मानसिकता, महत्वकांक्षाएं और खामियां दूसरों से भिन्न होते हैं। इन तथ्यों को नकारना या नजरअंदाज करने का अर्थ है खुद का सही ढंग से आकलन नहींकर पाना, दूसरे शब्दों में यह भी कह लें कि हम खुद को इंसान होने के सच से नकार दें। आज की युवा पीढ़ी खास कर हिंदुस्तानी एक रचे-बसे परंपरागत माहौल में पले-बढ़े होते हैं, वे सिर्फ अपने करियर के बारे में ही सोचते हैं, उसी भ्रमजाल में उलझे रहते हैं। करियर में श्रेष्ठतम प्रदर्शन के लिए यह जरूरी है कि फ्रेशर्स अपनी पसंदीदा फील्ड को ही चुनें, मगर साथ ही यह भी जरूरी है कि वे स्वयं से कुछ सवाल करें। मसलन मुझे सबसे अच्छा क्या लगता है? क्या मैं विभिन्नतापूर्ण कार्य कर सकने में सक्षम हूं? क्या मैं तय सीमा से ज्यादा वक्त दफ्तर में दे सकता हूं? क्या मैं दूसरों की सीख या सुझाव को खुद को सुधारने के लिए प्रयोग कर सकता हूं? मेरी खूबी या खामियां क्या हैं? भविष्य की मेरी क्या योजनाएं हैं? एक सकारात्मक मनन के साथ इस तरह के प्रश्नों को खुद से बार-बार पूछना चाहिए। इससे खुद की संपूर्णता को समझने में मदद मिलेगी और फ्रेशर्स को भी अहसास हो जाएगा कि वे अपने दूसरे साथियों के मुकाबले कहां और कितने साम‌र्थ्यवान हैं। इसके बाद वे अपने प्रदर्शन मे सुधार लाने की नए सिरे से कोशिश कर सकते हैं। अपनी सार्मथ्य और शक्ति के अनुरूप ही अपना करियर बनाइए। इससे आप न सिर्फ अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकेंगे, बल्कि आपका आंतरिक विकास भी होगा और आप खुद को बैलेंस रखते हुए संतुष्टि महसूस करेंगे(दैनिक जागरण,12.10.2010)।

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