शिवसेना विरोधी टिप्पणियों को लेकर मुंबई विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से एक पुस्तक को वापस लिए जाने पर महाराष्ट्र सरकार ने आश्वासन दिया कि वह इस मामले की जांच करेगी।
मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने पाठ्यक्रम से रोहिंटन मिस्त्री की पुस्तक को वापस लिए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि मैं आम तौर पर बात कर रहा हूं कि ऐतिहासिक तथ्यों को नहीं बदला जा सकता। अगर कोई लेखन तथ्य पर आधारित है तो हम उसे नहीं बदल सकते। हालांकि, मैं इस मुद्दे पर सूचना लूंगा। इस तरह के विवादों से स्थिति कठिन हो जाने और हर बार पाठ्यक्रम में बदलाव नहीं किए जा सकने की बात स्वीकार करते हुए श्री चव्हाण ने कहा कि उन्हें उपन्यास 'सच ए लॉन्ग जर्नी' को बीए डिग्री पाठ्यक्रम से हटाने के कदम को समझने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि वे विश्वविद्यालय के कुलपति से जानकारी लेंगे कि क्यों उन्होंने यह फैसला किया। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि सरकार मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। श्री टोपे ने कहा कि पुस्तक को वापस लेने का फैसला विश्वविद्यालय का विशेषाधिकार है। हम सिर्फ इस बात की जांच कर सकते हैं क्या विश्वविद्यालय द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया सही थी। यह पता करना महत्वपूर्ण है कि कैसे इसे पाठ्यक्रम में लाया गया।
शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के पौत्र आदित्य के कथित आदेश पर भारतीय विद्यार्थी सेना के कार्यकर्ताओं ने पिछले महीने उपन्यास की प्रतियों को जला दिया था और विश्वविद्यालय के कुलपति राजन वेलुकर से कहा था कि शिवसेना विरोधी टिप्पणियों के मद्देनजर इसे पाठ्यक्रम से हटा दिया जाए। मांगों के आगे झुकते हुए विश्वविद्यालय ने तत्काल पुस्तक को पाठ्यक्रम से वापस ले लिया और इस संबंध में सभी कॉलेजों को नोटिस जारी किया(नवभारत टाइम्स,मुंबई,14.10.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।