विश्वविद्यालय, कालेजों में मानदेय पर शिक्षक रखने की पहल का विरोध शुरू हो गया है। तदर्थ शिक्षक से ले प्रवक्ता पद के अभ्यर्थी भी इसका विरोध कर रहे हैं।
सरकारी निर्णय के अनुसार शिक्षकों का पैनल बनाकर शिक्षकों की कमी दूर करने की बात कही गयी है। उन शिक्षकों को 250 रुपये प्रति क्लास व अधिकतम 12 हजार रुपये दिए जाने हैं।
तदर्थ शिक्षक संघ के डा. इन्द्रमणी सिंह कहते हैं कि राज्य सरकार का धोखा है। न्यायालय के आदेश के बावजूद पूर्व में कालेजों में पढ़ा चुके तदर्थ शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार है। नई व्यवस्था में पढ़े-लिखे बेरोजगारों का शोषण होगा। उन्हें कोई नियुक्ति पत्र नहीं दी जाएगी। वे कभी भी वे हटाए जा सकते हैं।
लेक्चरर पद के अभ्यर्थी भी सरकार के कदम से असंतुष्ट हैं। उनका कहना है कि एक तरफ सरकार उच्च न्यायालय में 1123 लेक्चररों की बहाली शुरू करने का शपथ पत्र दायर कर रही है। दूसरी तरफ मानदेय पर भी रखने की बात कर रही है। यहां भी एक ही काम के दो अलग-अलग पारिश्रमिक हो जाएंगे। पंचायत शिक्षकों की बहाली से जो स्कूली शिक्षा का हश्र हुआ है वही उच्च शिक्षा का भी होगा(दैनिक जागरण,सासाराम,14.10.2010)।
विरोध उचित प्रतीत होता है। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंया देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
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