दशकों पूर्व बीटीसी कर किन्हीं कारणों से शिक्षक बनने से वंचित अभ्यर्थी भी नौकरी के लिए लाइन में लगे हैं। उन्हें प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक की नौकरी ज्यादा आकर्षक, शांतिपूर्ण व सुविधाजनक लग रही है। यह अलग बात है कि बेसिक शिक्षा परिषद ने ऐसे अभ्यर्थियों को नौकरी देने से इंकार कर दिया है।
प्रदेश में बीटीसी का चयन व तैनाती कभी नियमित नहीं रही है। कई-कई वर्ष में पद विज्ञापित होते रहे हैं। इसके चलते बीटीसी करने वाले बैकलाग अभ्यर्थियों की संख्या लगातार बढ़ती रही। हाल ही में बीटीसी का चयन एक बार फिर शुरू होने के बाद अब यह अभ्यर्थी भी बतौर शिक्षक तैनात होने का प्रयास कर रहे हैं। इन अभ्यर्थियों ने बीएसए कार्यालय को इस संबंध में आवेदन पत्र भी सौंप रखा है। अभ्यर्थियों की माने तो 80 व 90 के दशक में बीटीसी करने के वर्षो बाद तक नौकरी नहीं मिल पाती थी। इसके चलते कई अभ्यर्थी दूसरी नौकरी से जुड़ गए या फिर व्यवसाय में लग गए। उस समय वेतन भी कम था और दूरदराज के दुरूह क्षेत्र में तैनाती भी बड़ी समस्या था। इसके चलते जब विज्ञापन निकले तब भी बहुत से अभ्यर्थियों ने आवेदन नहीं किया। अब स्थिति बदल गई हैं। अब वेतन तो आकर्षक है ही, शिक्षक की नौकरी ज्यादा शांतिपूर्ण व सुविधाजनक हो गई है। वर्ष 1987 में बीटीसी करने वाले रमेश मिश्रा के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग हमें नौकरी देने के लिए बाध्य है, पर अभी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। बीएसए कार्यालय से तैनाती के लिए अनुरोध किया गया था पर महीनों बाद भी वहां से कोई भी जवाब नहीं मिला है।
दूसरी ओर बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव आई पी शर्मा के अनुसार अब इन अभ्यर्थियों को नौकरी नहीं मिल सकती। उनके अनुसार वर्ष 1999, 2000 व 2001 में सभी जिलों में विज्ञापन जारी कर बैकलाग प्रशिक्षुओं को चयन के लिए बुलाया गया था। इसके बाद सभी जिलों से इस संबंध में प्रमाणपत्र ले लिए गए कि उनके यहां कोई बीटीसी प्रशिक्षु जिसने नौकरी के लिए आवेदन किया हो, तैनाती के लिए बाकी नहीं है। उस समय तक चयन प्रक्रिया में शामिल होने वाले सभी अभ्यर्थियों को उम्र की अधिकतम सीमा में छूट दी गई थी। अब यह सुविधा समाप्त हो गई है। अब पुराने प्रशिक्षुओं का चयन नहीं हो सकता है।
प्रमाणपत्र तक नहीं ले गए प्रशिक्षु
इलाहाबाद : बीटीसी प्रशिक्षण के लिए आज भले ही मारामारी मची हो पर कुछ वर्ष पूर्व तक इसका प्रशिक्षण इतना महत्वपूर्ण नहीं था। उस समय बीटीसी प्रशिक्षण के लिए राजकीय दीक्षा विद्यालय संचालित किए जाते थे। इलाहाबाद में शिवकुटी में यह विद्यालय था, जबकि लड़कियों के लिए यह विद्यालय एसएसपी आवास के पास मिशन रोड पर था। वर्ष 1990 में यह विद्यालय बंद कर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण केन्द्र (डायट) बनाए गए। शिक्षकों का चयन नियमित न होने के चलते दीक्षा विद्यालयों के सैकड़ों अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण के बाद अपना प्रमाणपत्र तक ले जाना मुनासिब नहीं समझा। डायट में आज तक यह प्रमाणपत्र पड़े हुए हैं(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,14.10.2010)।
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