सत्र 2010-11 में बीएड पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश प्रक्रिया दीवाली के तत्काल बाद शुरू कर दी जाएगी। बीएड में इस बार भी ऑन लाइन काउंसलिंग के जरिए ही प्रवेश दिए जाएगा। इस बार भी प्रदेश के 383 कालेजों के लिए काउंसलिंग होगी। हालांकि उच्च शिक्षा संचालनालय ने एक नवंबर से ही काउंसलिंग शुरू करने का प्रस्ताव विभाग को भेजा है। एक-दो दिन में विभागीय प्रमुखों की मंजूरी मिलते ही पूरा कार्यक्रम घोषित किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक संचालनालय द्वारा तीसरी बार प्रस्ताव भेजा है। इसके पूर्व संचालनालय ने पहले एक अक्टूबर से काउंसलिंग कराने का प्रस्ताव बनाया था। इस संबंध में सितंबर के दूसरे सप्ताह में ही फाइल बढ़ा दी गई थी। मगर मंजूरी मिलने में समय लग गया। इसके चलते शेड्यूल दस अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया। मगर इसमें भी विभाग ने कुछ कमियां निकाल दीं। इसके चलते अब तीसरी बार प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस बार निर्बाध रूप से यह प्रस्ताव विभागीय मंत्री तक पहुंच गया है। अब जल्द ही बीएड का विस्तृत शेड्यूल घोषित होने की संभावना जताई जाने लगी है। जानकारी के अनुसार विभाग ने अपने प्रस्ताव में काउंसलिंग के साथ पूरा शैक्षणिक कैलेंडर बनाकर विभाग को भेजा है। कुल 120 दिन के इस कैलेंडर में परीक्षा तक का कार्यक्रम है। इसके तहत दिसंबर में कक्षाएं शुरू हो जाती हैं तो मई में परीक्षाएं करा ली जाएंगी। इससे किसी विवि पर परीक्षा का अतिरिक्त बोझ भी नहीं आएगा। उल्लेखनीय है कि तीन साल से बिगड़े माहौल के कारण इस बार एक ही साल में दो सत्रों के लिए प्रवेश दिए जा रहे हैं। इसके पहले अप्रैल तक प्रवेश दिए गए हैं। इनकी परीक्षाएं नवंबर में कराई जाना है। इसका कार्यक्रम भी विभाग द्वारा जारी कर दिया गया है। विवाद फिर भी बरकरार: उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एक ही साल में दो सत्रों के प्रवेश देने की उदारता दिखाने के बाद भी बीएड को लेकर बना विवाद खत्म होते नजर नहीं आ रहा। अब विवाद की वजह है सत्र 2008-09 के प्रवेश। कालेजों ने इसके लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। दर्जनों कालेजों ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। इसके संबंध में अदालत के नोटिस भी शासन में पहुंचने लगे हैं। इन्हें लेकर विभाग की असमंजस में आ गया है। इसकी वजह है जीरो ईयर की घोषणा न करना। साथ ही काउंसलिंग भी 2008-09 के लिए दर्शाना। इनके अलावा सरकारी कालेजों में हुए प्रवेश और परीक्षाएं भी सरकार के लिए परेशानी का सबब बनते दिख रहे हैं(दैनिक जागरण,भोपाल,15.10.2010)।
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