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15 अक्तूबर 2010

यूपीःबीएड की फीस वापसी पर असमंजस

गोरखपुर के राकेश व सीतापुर की रानी ने बीएड में दाखिला लिया। काउंसलिंग से प्रवेश प्रक्रिया पूरी करने के बाद राकेश व रानी दोनों ने निजी कालेज में रिपोर्टिग दी तो निजी कालेज ने अतिरिक्त फीस मांगी। राकेश ने लविवि में प्रवेश के दौरान जमा की गयी फीस लौटाने की अर्जी दी, लेकिन करीब डेढ़ महीने से वह चक्कर काटकर परेशान है, लेकिन अभी फीस वापस नहीं मिल पायी है। यह समस्या अकेले लविवि से सम्बद्ध कालेज की नहीं, बल्कि प्रदेश के दूसरे विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कालेजों में प्रवेश पाये छात्रों की है। बीएड में दाखिला लेने के बाद फीस लौटाने के मामले में लखनऊ विश्वविद्यालय व निजी कालेज आमने-सामने आ गये है। एक निजी बीएड कालेज के प्रबंधन ने नाम न लिखने पर कहा कि राज्य प्रवेश समन्वयक दाखिला दे सकते है, लेकिन एक बार फीस जमा होने के बाद फीस लौटाने का निर्णय नहीं ले सकते है। फीस लौटाने का मतलब है कि छात्र का प्रवेश निरस्त कर देना और यह अधिकार सिर्फ सम्बन्धित विश्वविद्यालय के कुलपति में ही निहित है। दूसरी ओर लविवि को फीस लौटाने की अब तक करीब 300 अर्जी आ चुकी है। इन सभी में अभ्यर्थियों ने निजी कालेजों में अतिरिक्त फीस की उगाही का मुद्दा उठाकर फीस लौटाने के लिए लविवि से गुहार लगायी है। सूत्रों का कहना है कि लखनऊ विश्वविद्यालय के बीएड समन्वयक सेल ने कुछ छात्रों की फीस लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विवि के कुलपति ने इस पर बीएड प्रवेश प्रक्रिया के मुख्य समन्वयक प्रो. अखिलेश चौबे से लेकर लीगल सेल के निदेशक तक से मशविरा मांगा है। कुलपति अनकण्डीशनल मामलों में फीस लौटाने के हक में है और इसके लिए भी कार्यपरिषद की मुहर लगाने की तैयारी में है। सूत्रों का कहना है कि फीस लौटाना एक नीतिगत मामला है और नीतिगत निर्णय प्रमुख सचिव से लेकर शासन के आला अफसर ही ले सकते है। निजी कालेज बीएड छात्रों की फीस लौटाने का भी विरोध कर रहे है और अतिरिक्त फीस की उगाही पर भी लगाम नहीं लगा रहे है, ऐसे में लविवि की भूमिका सिर्फ दाखिला देने के बाद मूकदर्शक बने रहने का रह गया है। कालेजों ने मांगी अतिरिक्त फीस तो सैकड़ों अर्जियां विवि में जमा की गयी फीस लौटाने के लिए पहुंच गयीं शासन ही ले सकता है फैसला : लविवि लखनऊ। लविवि के प्रवक्ता प्रो. एसके द्विवेदी का कहना है कि फीस लौटाने के बावत शासन ही कोई फैसला ले सकता, जो सभी विश्वविद्यालयों पर लागू हो, लविवि अपने सहयुक्त कालेजों पर ही नकेल लगा सकता है, दूसरे विश्वविद्यालयों के प्रवेश खारिज करने में शासन ही सक्षम है(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,15.10.2010)।

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