देश की अर्थव्यवस्था जैसे-जैसे पटरी पर लौट रही है, उसी रफ्तार से बाजार में नौकरियों की रंगत भी छा रही है। साल 2010 की तीसरी तिमाही पर ही नजर डालें, तो इसमें बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर मिले हैं। दूसरी तरफ सबसे ज्यादा बहाली करने वाले सेक्टर्स पर नजर डालें, तो हेल्थकेयर, हॉस्पिटैलिटी और रियल एस्टेट व कंस्ट्रक्शन सेक्टर नौकरियां देने के मामले में अव्वल रहे हैं। इंटरनेशनल ह्यूमन रिसोर्स की सेवाएं मुहैया कराने वाले मा फाई रैंडस्टैड द्वारा हाल ही में कराये गए सर्वे की मानें, तो जुलाई से सितंबर के बीच, देश के संगठित क्षेत्र में करीब 3 लाख 20 हजार 400 नई रिक्तियों की घोषणा हुई है। मा फाई रैंडस्टेड के डायरेक्टर ई बालाजी कहते हैं कि यदि वृहद् स्तर पर देखें, तो सकल घरेलू उत्पाद के बढ़ने के साथ इंडस्ट्रीज के उत्पादन में हुए इजाफे का प्रभाव पड़ा है। यही नहीं, पिछले कुछ समय से स्टॉक मार्केट के साथ कोर इंफ्रास्ट्रक्चरल सेक्टर भी उछाल पर है, साथ ही विदेशी निवेश भी बड़े पैमाने पर हो रहा है। निश्चय ही ये सभी तत्व देश की अर्थव्यवस्था के साथ विकास को बल देने में अहम भूमिका निभाते हैं, जाहिर है, विकास की गति जितनी तीव्र होगी, नौकरियों की संख्या में भी इजाफा होगा। वैसे साल की तीसरी तिमाही में, नौकरियां देने के लिहाज से हैल्थकेयर, हॉस्पिटैलिटी और रियल एस्टेट सेक्टर में आए अवसरों पर नजर डालें, तो पिछले तीन महीनों में इन तीनों सेक्टरों ने नौकरियों के 1 लाख 70 हजार अवसर दिए हैं। अगर पिछले 6 महीनों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो अप्रैल से सितंबर माह के बीच भी हेल्थकेयर ही एक ऐसा सेक्टर रहा, जिसमें नौकरियों के सबसे ज्यादा अवसर देखने को मिले। इस सेक्टर ने जहां बीते 6 महीनों 1 लाख 40 हजार 800 अवसर दिए, तो वहीं इसके बाद नौकरियां देने के मामले में हॉस्पिटैलिटी और रियल एस्टेट व कंस्ट्रक्शन सेक्टर खड़े दिखते हैं। हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में जहां 93 हजार 400 अवसर सामने आए, वहीं रियल्टी सेक्टर से जॉब के 82 हजार 200 अवसर निकले। हेल्थकेयर सेक्टर में नौकरियों की संख्या बढ़ने की वजह बताते हुए बालाजी कहते हैं कि पिछले कुछ समय से लोगों का लाइफस्टाइल काफी बदला है, साथ ही अब स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी पहले की तुलना में काफी बढ़ी है। इसके अलावा देश के टॉप हॉस्पिटल जहां बेड की संख्या बढ़ाने पर काम कर रहे हैं तो वहीं अपनी सेवाएं महानगरों के साथ छोटे शहरों तक पहंुचाने में जुट गए हैं। ऐसा होने की वजह से इस सेक्टर में लगातार नई नियुक्तियों की संख्या बढ़ रही है। हेल्थकेयर के साथ हॉस्पिटैलिटी सेक्टर का भी तेज विकास हो रहा है। हालांकि सर्वे में इसकी एक बड़ी वजह सरकारी नीतियों के अलावा घरेलू और पर्यटन को बढ़ावा मिलने से भी हुआ है। इस बारे में बालाजी कहते हैं हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में स्टाफ की कमी पहले से ही महसूस हो रही थी, लेकिन जब से इस सेक्टर में निवेश करने वालों को केन्द्रीय बजट में टैक्स छूट का प्रावधान किया गया, उससे काफी लाभ हुआ। इसी तरह इंफ्रास्ट्रक्चर के अंतर्गत सड़कों की नई परियोजनाओं के विकसित होने का लाभ रियल्टी और कंस्ट्रक्शन सेक्टर को मिला है। वैसे रियल एस्टेट सेक्टर पर नजर डालें, तो इकोनॉमिक रिसेशन के बीत जाने के बाद स्थितियां काफी कुछ सुधरी हैं, लेकिन यह सेक्टर अब भी पूरी तरह बहाल नहीं हो पाया है। फिर भी ग्राहकों की क्रय क्षमता के बढ़ने के अलावा, सस्ते दाम पर घर मुहैया कराने वाले कई नए प्रोजेक्ट्स आने की वजह से इस सेक्टर को फायदा पहुंचा है। नए प्रोजेक्ट्स में ग्राहकों के तगड़े निवेश का लाभ मिलने से इस सेक्टर में नियुक्तियों की संख्या बढ़ी है। नौकरियों के लिहाज से रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में बड़े पैमाने पर इसमें नियुक्तियां तो हुई ही हैं, साथ ही इस सेक्टर में काम करने वाले स्टाफ की सैलरी में भी इजाफा हुआ है। रियल्टी सेक्टर की सैलरीज में हुई वृद्धि को देखें, तो यह हेल्थकेयर और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से भी ज्यादा दिखती है। हेल्थकेयर सेक्टर में जहां तीसरी तिमाही में सैलरीज में 3.4 फीसदी की वृद्धि दिखी तो वहीं रियल्टी और कंस्ट्रक्शन सेक्टर की सैलरीज में 3.5 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है। मा फाई रैंडस्टैड सर्वे की मानें, तो पिछले 6 महीनों में जिन पांच सेक्टरों में 5 लाख 75 हजार नौकरियों के अवसर देखने को मिले हैं उनमें, हैल्थकेयर, हॉस्पिटैलिटी, रियल एस्टेट व कंस्ट्रक्शन सेक्टर के अलावा इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी और इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी इनेबल्ड सर्विसेज के साथ एजुकेशन, ट्रेनिंग व कंसल्टेंसी प्रमुख हैं। सर्वे में यह भी कहा गया है कि यदि अगली दो तिमाहियों में इन सेक्टरों के साथ अन्य सेक्टर भी नई नियुक्तियां करते हैं, तो स्थितियां और बदल जाएंगी अर्थव्यवस्था के विकास को और लाभ होगा( शिवाकान्त पाण्डेय आईटीजी इनपुट के साथ,दैनिक जागरण,12.10.2010)
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