लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा प्रवेश निरस्त किये जाने के बाद कोर्ट पर टकटकी लगाए बीएड के हजारों छात्र-छात्राएं सभी विद्यार्थियों पर एक साथ निर्णय चाहते हैं। उन्होंने लविवि प्रशासन से न्याय की आस छोड़ दी है। छात्रों की समझ में आ गया है कि कोर्ट जितने याचियों पर फैसला करेगा, लविवि प्रशासन उन्हीं को राहत देगा। फिलहाल 19 अक्टूबर को मामले की सुनवाई का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद सभी छात्रों पर एक साथ फैसले के लिए वाद दायर किया जाएगा। बीएड के तकरीबन 4000 विद्यार्थियों का प्रवेश लविवि प्रशासन ने निरस्त कर दिया था। इसके पीछे तर्क दिया गया कि ये छात्र काउंसिलिंग के बाद कॉलेज आवंटन के साथ फीस कन्फर्मेशन की रसीद नहीं ले गए। इनमें 70 फीसदी से अधिक वे छात्र हैं जो तीन अगस्त की काउंसिलिंग में शामिल हुए थे, ये सभी मेरिट में स्थान पाने वाले हैं। कोर्ट की शरण में गए आठ अभ्यर्थियों को राहत मिली और उनकी पढ़ाई यथावत रखते हुए मामले की सुनवाई की अगली तिथि 19 अक्टूबर तय की गई। इसके बाद लखनऊ विवि ने केवल याची छात्रों को ही राहत दी। दैनिक जागरण ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और न्यायविदों की राय ली। अभिभावक आर पाण्डेय का कहना है न्यायविदों ने रास्ता दिखाया है। अगली तिथि को आने वाले फैसले पर हजारों विद्यार्थियों की नजर लगी है। उनको उम्मीद है कि कोर्ट सभी छात्रों के लिए कोई डायरेक्शन (निर्देश) जारी करेगा। यदि कोर्ट से केवल याची छात्रों पर ही फैसला आता है, तो एक साथ वाद दायर किया जाएगा। नये विद्यार्थी भी भटक रहे हजारों छात्रों का प्रवेश निरस्त करने के बाद इन सीटों पर दूसरे छात्र-छात्राओं को प्रवेश दिया गया है। इनको कॉलेज भी आवंटित कर दिया गया। छात्र जब कॉलेज पहुंचे तो उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। ये छात्र भी भटक रहे हैं और कहीं सुनवाई नहीं हो रही(दैनिक जागरण,लखनऊ,14.10.2010)।
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