सिटी के रेग्युलर कॉलेज सरकारी टीचर्स की भारी कमी से जूझ रहे हैं। यह समस्या एक दो दिन से नहीं बल्कि लंबे समय से बनी हुई है। इसी का नतीजा है कि स्टूडेंट्स को पढ़ाई का नुकसान उठाना पड़ रहा है। कई कॉलेजों में तो महत्वपूर्ण कोर्स तक में टीचर्स नहीं हैं।
हालांकि कॉलेज प्रिंसिपल का कहना है कि इसकी जानकारी इलाहाबाद स्थित उच्च शिक्षा निदेशालय को रिटायरमेंट के बाद समय-समय पर दी जाती रही है लेकिन अभी तक कॉलेजों को टीचर्स नहीं मिल सकें। इसी का नतीजा है कि विद्यावती मुकंदलाल गर्ल्स डिग्री कॉलेज में तो मैनेजमेंट स्तर से ही ट्यूटर की स्टूडेंट्स को पढ़ाए जाने की व्यवस्था की गई है जबकि दूसरे कॉलेजों का मानना है कि ट्यूटर की व्यवस्था मैनेजमेंट स्तर पर करते हुए सैलरी दिए जाने के चलते मैनजमेंट बचता है।
विद्यावती मुकंदलाल गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. अंजलि गुप्ता का कहना है कि कॉलेज में 46 परमानेंट लेक्चरार की पद स्वीकृत हैं। जिनमें से 15 पद लंबे समय से खाली पड़े हुए हैं जबकि 41 भरी हुई हैं। इनमें से इंग्लिश में तीन, एजुकेशन में 3 सहित होमसाइंस, हिंदी और ईकोलॉजी में कई पद खाली पड़े हुए हैं। वर्ष 1979 में भी हिंदी की लेक्चरार रिटायर हो चुकी है। रिटायर्ड हुए लेक्चरार की जानकारी समय-समय पर इलाहाबाद में हायर एजुकेशन कमीशन को भेज दी जाती है क्योंकि यहीं से रिटायर्ड को पेंशन प्रदान की जाती है लेकिन अभी तक इन पदों पर नियुक्ति नहीं की जा सकी है।
स्टूडेंट्स के पढ़ाई के नुकसान को देखते हुए मैनेजमेंट स्तर से क्वालिफाइड 15 टयूट्र को खाली पड़े पदों पर नियुक्त करते हुए पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। जिनमें से अधिकांश ने जॉइन कर लिया है। एलआर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय कौशिक ने बताया कि कॉलेज में 36 लेक्चरर की पोस्ट स्वीकृत है। जिनमें से 10 पोस्ट को खाली पड़े हुए 5 वर्ष का समय बीत चुका है। जिनमें से महत्वपूर्ण कोर्स फिजिक्स, कैमिस्ट्री सहित अन्य जरुरी सब्जेक्ट्स मैथ्स और पॉलिटिकल साइंस में लेक्चरर के पद खाली पड़े हुए है।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में इलाहाबाद स्थित उच्च शिक्षा निदेशालय को सूचित करा दिया गया है। उनका यह भी कहना है कि दिल्ली, उत्तरांचल और बंगाल आदि जगहों पर यूनिवर्सिटी स्तर से लेक्चरार की नियुक्ति की जाती है जबकि यूपी में हायर एजुकेशन कमीशन द्वारा नियुक्ति किए जाने पर मामला खिंचता रहता है और कॉलेजों को टीचर्स नहीं मिल पाते है(नवभारत टाइम्स,गाजियाबाद,14.10.2010)।
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