सूचना और मनोरंजन के किसी भी माध्यम में विज्ञापनों का न होना अब खटकता है। टेलीविजन देखें या अखबार पढ़ें अगर विज्ञापन नहीं नजर आ रहे हैं तो उस अखबार और चैनल को बेकार माना जाता है। अब तो टेलीविजन चैनलों की टीआरपी भी विज्ञापनों की संख्या के आधार पर तय की जाने लगी है। विज्ञापन अब सिर्फ उत्पाद बेचने का जरिया भर नहीं रहे बल्कि मनोरंजन का साधन भी बन चुके हैं। कुछ विज्ञापन तो ऐसे हैं जो आम लोगों के बीच मुहावरा बन चुके हैं। जैसे ‘पप्पू पास हो गया' ‘वाह सुनील बाबू बढिय़ा है' ‘ठंडा मतलब कोका कोला'।
उपभोक्ता किसी भी उत्पाद को अगर खरीद रहा है तो इसमें विज्ञापनों की अहम भूमिका होती है। विज्ञापन न सिर्फ उत्पाद के बारे में सूचित करते हैं बल्कि उपभोक्ता पर उत्पाद खरीदने के लिए मानसिक रूप से दबाव भी बनाते हैं। इसलिए किसी भी विज्ञापन के निर्माण के समय बेहद सावधानी बरती जाती है। खरीदार के दिमाग में प्रोडक्ट की छवि किस तरह बनानी है, यह काम विज्ञापन के जरिए ही पूरा किया जाता है। आप घर पर हों, दफ्तर में या रास्ते पर चल रहे हों विज्ञापनों की पहुंच हर जगह है। बिलबोर्ड, होर्डिंग, मैगजीन, अखबार, टीवी, वेबसाइट, रेडियो हर जगह विज्ञापनों ने अपनी पहुंच बना रखी है। देश की आर्थिक प्रगति और बदलती मानसिकता की जांच करनी हो तो विज्ञापनों पर गौर करके, इसका आकलन किया जा सकता है। पिछले एक दशक में विज्ञापन उद्योग में जिस तेजी से उछाल आया है उससे तो यही प्रतीत होता है कि यह क्षेत्र लंबी रेस का घोड़ा साबित होगा। विज्ञापन उद्योग के विकास के साथ इस क्षेत्र में रोजगार की भी अपार संभावनाएं पैदा हो रही हैं। इस क्षेत्र के लगातार होते विकास ने इसे करिअर के बेहतर विकल्प बना का रूप दे दिया है।
एडवर्टाइजिंग को मुख्य रूप से मास कम्युनिकेशन का एक जरिया कहा जा सकता है। किसी भी ब्रांड को लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए एडवर्टाइजिंग यानी विज्ञापन की जरूरत होती है। विज्ञापनों के महत्व से अब हर कोई परिचित होने लगा है। यही कारण है कि अब छोटे-छोटे व्यापारी भी अपने व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए विज्ञापन का सहारा लेते हैं। नए व्यापार का विज्ञापन इसलिए जरूरी है ताकि लोग जानें और पूरी तरह स्थापित व्यापार का विज्ञापन इसलिए महत्व रखता है ताकि आम लोगों के जेहन में ब्रांड नेम बना रहे। एडवर्टाइजिंग की विस्तृत दुनिया में करिअर बनाना हो तो इसकी बारीकियों को समझना बेहद जरूरी है। प्रतिस्पर्धा से भरे मौजूदा दौर में एडवर्टाइजिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। देश में हर दिन काफी संख्या में एडवर्टाइजिंग एजेंसियां खुल रही हैं, इसलिए इस क्षेत्र में रोजगार की कोई कमी नहीं है। यह क्षेत्र बेहद ग्लैमर्स होने के साथ ही काफी चुनौतीपूर्ण भी है। टारगेट ऑडिएंस पर व्यापक असर डालने के लिए इस क्षेत्र में उन्हीं लोगों को प्रवेश मिल पाता है जो रचनात्मक सोच रखते हैं। मुश्किलों से भरे इस क्षेत्र में अगर आपसे जीतोड़ मेहनत करवाई जाती है तो बदले में तनख्वाह के रूप में मनचाही रकम भी दी जाती है। अगर आप में काम के दबाव को सहन करने की क्षमता है और आप दबाव में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं तो यह क्षेत्र आपके लिए उज्ज्वल भविष्य वाला साबित हो सकता है।
जैसे-जैसे इस क्षेत्र का विकास हो रहा है वैसे-वैसे इसमें नई चीजें जुड़ती जा रही हैं। इस समय एडवर्टाइजिंग में इवेंट मैनेजमेंट, इमेज मैनेजमेंट, इंटरनेट मार्केटिंग आदि नए क्षेत्र विकसित हो चुके हैं। इनमें रोजगार के हजारों अवसर उभर रहे हैं। इवेंट मैनेजमेंट के जरिए किसी भी प्रोडक्ट को एक इवेंट के सहारे बाजार में लांच किया जाता है। इवेंट मैनेजमेंट का काम काफी भागदौड़ और तनाव से भरा होता है। इसमें शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की मेहनत करनी होती है। इमेज मैनेजमेंट के जरिए किसी ब्रांड या कंपनी की बाजार में छवि बनाई जाती है। यह काम भी बेहद मेहनत से भरा है। इंटरनेट मार्केटिंग में मास ऑडिएंस को फोकस करने के बजाय सेलेक्टेड ग्रुप पर फोकस किया जाता है। इस काम में शारीरिक मेहनत का कोई काम नहीं होता है। किसी एडवर्टाइजिंग एजेंसी में आपकी जॉब पोजीशन और कमाई एजेंसी के स्तर पर टर्नओवर पर निर्भर करती है। बड़ी एजेंसी में काम करने वालों के लिए काम का प्रेशर कम होता है और छोटी एजेंसी में लोग कम होते हैं और उसी के आधार पर कम लोगों से ही ज्यादा से ज्यादा काम लिया जाता है।
आय : इस क्षेत्र में करिअर बनाने वालों के लिए शुरुआती स्तर में प्रोडक्शन इम्प्लाई के रूप में रोजगार मिलता है। इस पद के लिए आपको 7-10 हजार रुपए मासिक तक की आय मिल सकती है। छोटी एजेंसी में यह आय 5 हजार मासिक तक होती है। इसके अलावा शुरुआती स्तर पर कॉपी एडिटर के तौर पर भी काम किया जा सकता है। इसमें 8 से 10 हजार रुपए मासिक तय की आय होती है। आपकी कार्यक्षमता और प्रदर्शन के आधार पर आय और पद दोनों में ही बढ़ोतरी होती रहती है। एक कॉपी एडिटर को थोड़े समय बाद ही 35-45 हजार रुपए मासिक तक की आय होने लगती है। कंपनी के जनरल मैनेजर को तो लाखों रुपए मासिक तक की तनख्वाह होती है।
योग्यता : एडवर्टाइजिंग की फील्ड में अगर आप क्रिएटिव डिपाटमेंट में करिअर बनाने में रुचि रखते हैं तो आधारभूत योग्यता के रूप में आपके पास साधारण ग्रेजुएट डिग्री होनी जरूरी है। इसके साथ ही अंग्रेजी और हिंदी भाषा में अच्छी पकड़ होना जरूरी है। फोटोशॉप, कोरल ड्रा या फाइन आर्ट जैसे डिजाइनिंग पैकेज की पूरी जानकारी होना जरूरी है। डिजाइनिंग के इन सभी टूल्स से एडवर्टाइजिंग को डिजाइन किया जाता है। एडवर्टाइजिंग में कई प्रकार के डिप्लोमा और पोस्टग्रेजुएट स्तर के कोर्स कराए जाते हैं। इन कोर्सों में प्रवेश के लिए साधारण ग्रेजुएट होना जरूरी है। इसके अलावा अगर आप डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लेना चाहते हैं तो आपको 12वीं उत्तीर्ण होना चाहिए।
प्रमुख संस्थान :
आचार्य प्रफुल्ल चंद्र कॉलेज, परगानस, पश्चिम बंगाल
एडवर्टाइजिंग क्लब, अन्नामलाई, तमिलनाडु
एपीजे इंस्टीच्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, नयी दिल्ली
बरेली कॉलेज, बरेली
भारतीय विद्या भवन, चौपाटी, महाराष्ट्र
भवन इंस्टीच्यूट ऑफ कम्युनिकेशन एंड मैनेजमेंट, कोलकाता
सेंटर फॉर इमेज मैनेजमेंट स्टडीज, नोएडा, उत्तर प्रदेश
चेन्नई क्रिश्चियन कॉलेज, चेन्नई, तमिलनाडु
कोच बेहर कॉलेज, कोच, पश्चिम बंगाल
दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट एंड कॉमर्स, नयी दिल्ली
(जी.एस. नंदिनी,दैनिक ट्रिब्यून,13.10.2010)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।