नई भर्ती वाले कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के बाद बल्ले-बल्ले हो जाएगी। उनकी झोली में धन बरसेगा। एक नवंबर, २००४ के बाद सरकारी सेवा में आने वाले कर्मचारियों के लिए नई अंशदायी पेंशन योजना लागू की गई है। इसके तहत अधिकारी-कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद सरकार पेंशन नहीं देगी, मगर इसके एवज में उन्हें एकमुश्त इतनी राशि मिलेगी कि वे मालामाल हो जाएँगे।
सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाली राशि की गणना करने पर पता चलता है कि प्रथम श्रेणी के अधिकारियों को एक करोड़ ヒपए से अधिक की राशि मिलेगी। तृतीय वर्ग कर्मचारियों को लगभग ३०-४० लाख और चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों को २०-२५ लाख ヒपए तक मिलने का अनुमान है। अभी यदि किसी कर्मचारी को दस हजार वेतन मिलता है तो हर माह दस फीसदी यानी एक हजार ヒपए उसके खाते में जमा होगा। इतनी ही राशि राज्य सरकार भी उसके खाते में जमा करेगी। कुल मिलाकर कर्मचारी के खाते में सालाना करीब २४ हजार ヒपए जमा होगा। किसी कर्मचारी की नौकरी आमतौर पर तीस साल मानी जाती है। सेवानिवृत्त होने पर करीब ७० लाख ヒपए मिलेंगे। इसमें ब्याज का पैसा अलग से रहेगा। इसके अलावा सेवानिवृत्ति के समय यदि कर्मचारी अपनी ३०० दिन की छुट्टी बचाकर रखता है तो सरकार उस छुट्टी का भी पैसा देगी। अर्थात दस माह का वेतन उन्हें अलग से मिलेगा। वह सालभर में वह ३० दिन की छुट्टी ले सकता है।
हर साल पैसे का हिसाब
एक नवंबर, २००४ के बाद सरकारी सेवा में आने वाले कर्मचारियों को सरकार पेंशन नहीं देगी। इसके बदले उनके लिए नई अंशदायी पेंशन योजना लागू की गई है। अब इस योजना की तस्वीर साफ होने लगी है।
कर्मचारी के मूल वेतन और महँगाई भत्ते का दस प्रतिशत अंशदायी पेंशन योजना के फंड में जमा होगा। इतनी ही राशि सरकार भी देगी। फंड के निवेश के लिए रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाई गई है। अभिलेख संधारण के लिए एजेंसी और पेंशन फंड मैनेजर है। यह अथॉरिटी हर साल फंड का हिसाब संबंधित कर्मचारियों को देती है।
६० फीसदी कहीं भी खर्च
नई योजना में कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली कुल राशि का ६० प्रतिशत हिस्सा कहीं भी खर्च कर सकता है। केवल ४० प्रतिशत राशि को ही उन्हें किसी पेंशन योजना में निवेश करना पड़ेगा, ताकि पेंशन मिलती रहेगी(नई दुनिया,रायपुर,13.10.2010)।
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