मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

13 अक्तूबर 2010

यूपीःकृषि विवि में स्व-वित्तपोषित पाठ्यक्रम की सिफारिश

उत्तरप्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ करने को 'सहगल समिति' ने इनमें स्ववित्त पोषित पाठयक्रम संचालन की सिफारिश की है। यह सभी पाठयक्रम सार्वजनिक-निजी सहभागिता के तहत संचालित किये जा सकते हैं। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की मांग पूरी करने के बाद कृषि विश्वविद्यालय निजी क्षेत्र की मांग के आधार पर उन्हें भी जनक बीज उपलब्ध करा सकते हैं। इससे उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार अपेक्षित होगा।

इस समिति ने कृषि विश्वविद्यालयों में उत्पादित होने वाले प्रजनक बीज के उत्पादन और उनकी दरों को पुनरीक्षित करने की सिफारिश की है। हालांकि दरों के पुनरीक्षण का मामला राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। समिति का मानना है कि किसानों को बीजों की बिक्री किये जाने से सम्बंधित एजेंसियों को मिलने वाले लाभांश का एक हिस्सा जनक बीज के उत्पादक कृषि विश्वविद्यालय को भी मिलना चाहिए। इससे सम्बंधित विश्वविद्यालय के आर्थिक तौर पर आत्म निर्भर बनने में मदद मिलेगी।

मध्य प्रदेश में मंडी परिषद द्वारा कृषि विश्वविद्यालयों को अवस्थापना सुविधाओं और परियोजना आधारित कार्यक्रमों में वित्तीय सहयोग दिया जाता है। सहगल समिति ने संस्तुति की है कि वहां की भांति उत्तर प्रदेश में भी कृषि शिक्षा, शोध और प्रसार कार्यक्रमों के संचालन के लिए नियमित रूप से राशि उपलब्ध करायी जाए।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार लाने और उन्हें आर्थिक तौर पर आत्म निर्भर बनाने के सम्बंध में सुझाव देने के लिए पिछले साल राज्य सरकार ने कानपुर स्थित शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एचके सहगल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था(दैनिक जागरण संवाददाता,लखनऊ,13.10.2010)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।