आईआईएम में कई सुधारों को मानव संसाधन मंत्रालय ने हरी झंडी दे दी है। पूरी कवायद इन संस्थानों को ज्यादा आत्मनिर्भर बनाने की है। आईआईएम फैकल्टी और निदेशकों को अब अपनी सालाना कार्ययोजना पेश करनी होगी कि वे साल भर में क्या करने वाले हैं।
सरकार आईआईएम को देश-विदेश में अपना कैंपस खोलने और फैकल्टी को सरकार की ओर से तय राशि से ज्यादा पैसा देने के मामले में भी छूट देने को तैयार हो गई है। वहीं शोध पर विशेष ध्यान देने के लिए विशेष फंड की व्यवस्था की जाएगी। आईआईएम निदेशक के लिए संचालक मंडल तीन नाम सुझाएगा। इनमें से किसी एक के नाम पर मानव संसाधन मंत्रालय अपनी मुहर लगा देगा।
दिल्ली में आईआईएम निदेशकों और चेयरमैन की बैठक में हुई चर्चा के बाद बनी सहमति के मुताबिक आईआईएम के मौजूदा बोर्ड ऑफ गवर्नर की संख्या में कटौती की जाएगी। फैकल्टी सदस्यों मे जिम्मेदारी का भाव लाने और उन्हें क्लास और रिसर्च में ज्यादा ध्यान देने पर बाध्य करने के उपाय किए जाएंगे।
आम तौर पर सहमति बनी कि आईआईएम ऐसे संस्थान हैं जो अच्छा काम कर रहे हैं और यहां के छात्रों और फैकल्टी की अच्छी साख है। बावजूद इसके इन संस्थानों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप विकसित करने के लिए कई गवर्नेस के मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत बताई गई।
संस्थानों को फंड के लिहाज से ज्यादा आत्मनिर्भर बनाने के लिए इन संस्थानों को दिए जाने वाले धन के बारे में टैक्स नीति बनाने पर जोर दिया गया जिससे जो लोग पैसा दें उन्हें टैक्स में छूट मिल सके। सर्विस टैक्स के मामले में भी इन संस्थानों को छूट दी जाएगी। सोसायटी सदस्यों की जवाबदेही बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक सदस्य नियुक्त करने की प्रक्रिया के बारे मे विचार किया गया।
इस संबंध में बनी सहमति की सिफारिशों पर गौर करते हुए मानव संसाधन मंत्री ने उन सुझावों को नकार दिया जिसमें मोटी धनराशि देकर आईआईएम सोसायटी का सदस्य बनाने की बात कही गई थी। मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि मोटी धनराशि देकर सदस्य बनने वाले लोगों का संस्थान के हित से इतर अपने हित हो सकते हैं जिससे निपटने में दिक्कत होगी।
आईआईएम अपनी फैकल्टी को सरकार की ओर से निर्धारित राशि से ज्यादा पैसा देना चाहते हैं तो उन्हें अपने संसाधनों से ऐसा करने की छूट होगी। नए आईआईएम को इस बाबत बिना ब्याज के कर्ज दिए जाने पर भी बैठक में विचार किया गया।
सीटें बढ़ीं पर परीक्षार्थी घटे
देश के शीर्ष प्रबंधन संस्थानों में दाखिले के लिए आयोजित किए जाने वाले कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) के आवेदकों की संख्या में इस साल कमी देखी गई है, जबकि सीटों की संख्या में इजाफा हुआ है। साल 2008 के कॉमन एडमिशन टेस्ट में 2,46,000 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया था, जबकि सीटों की संख्या 1,800 थी।
साल 2009 में परीक्षा में भाग लेने वालों की संख्या 2,40,000 रही जबकि सीटें थीं 1,950। कॉमन एडमिशन टेस्ट के संयोजक आईआईएम लखनऊ के प्रोफेसर हिमांशु राय ने बताया कि इस साल 2.06 लाख परीक्षार्थियों ने पंजीकरण कराया है। दो नए आईआईएम, रांची और रोहतक के शुरू होने से इस साल 2,180 सीट हैं(दैनिक भास्कर,दिल्ली,14.10.2010)।
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