प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी एडमिशन की प्रक्रिया इस बार 1 जनवरी से शुरू होगी और 31 मार्च तक दाखिले पूरे करने होंगे। शिक्षामंत्री अरविंदर सिंह लवली ने नर्सरी में दाखिले के मसले पर सोमवार को प्राइवेट स्कूलों के प्रिंसिपलों से बैठक की थी, जिसमें यह तय किया गया कि इस बार नर्सरी के लिए रजिस्ट्रेशन 15 दिसंबर से नहीं बल्कि 1 जनवरी से शुरू होगा। सभी स्कूलों में एक साथ एडमिशन की प्रक्रिया शुरू होगी।
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों से नर्सरी एडमिशन के मानदंड को लेकर सुझाव भी मांगे हैं। स्कूलों को गुरुवार तक अपने सुझाव देने होंगे, जिन पर सरकार विचार करेगी और उसके बाद शिक्षा निदेशालय गाइड लाइंस जारी कर देगा। बैठक में शामिल फेडरेशन ऑफ पब्लिक स्कूल के चेयरमैन आर. पी. मलिक ने बताया कि दाखिले की तारीख को लेकर अब कोई असमंजस नहीं है। जहां तक इसके मानदंड की बात है तो स्कूल अलग-अलग कैटिगरी बनाएंगे और हर कैटिगरी में ड्रॉ के जरिए छात्रों का चुनाव किया जाएगा। उन्होंने बताया कि घर से स्कूल की दूरी, सिबलिंग, एलुमनी जैसी कैटिगरी को एडमिशन फॉर्म्युले में शामिल किया जाएगा।
उधर निदेशालय का कहना है कि नया सेशन अप्रैल में शुरू होता है, इसलिए जनवरी में दाखिले का प्रोसेस शुरू करने पर भी मार्च तक इसे आसानी से निपटाया जा सकता है। निदेशालय ने अभिभावकों को आश्वस्त किया है कि उन्हें एडमिशन प्रक्रिया के लिए पूरा समय मिलेगा। स्कूलों को निदेशालय की गाइड लाइंस के मुताबिक ही एडमिशन करने होंगे। हर स्कूल को पैरंट्स को यह बताना होगा कि उनके यहां कितनी सीटें हैं और स्कूल किस बेस पर दाखिले कर रहे हैं। स्कूल अलग-अलग कैटिगरी के आधार पर ड्रॉ निकालेंगे लेकिन बच्चों या उनके अभिभावकों का इंटरव्यू नहीं लिया जा सकता। पिछले साल तक कुछ स्कूल अभिभावकों के व्यवसाय व उनकी आय के आधार पर भी पॉइंट देते थे लेकिन इस बार पैरंट्स के व्यवसाय को दाखिले के मानदंड में शामिल नहीं किया जा सकता।
अभिभावकों का कहना है कि सरकार को ऐसी गाइड लाइंस बनानी चाहिए, जिनमें उन्हें किसी परेशानी का सामना न करना पड़े और एडमिशन की प्रक्रिया में पूरी तरह से पारदशिर्ता हो। गौरतलब है कि पिछले साल 15 दिसंबर से एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन इस साल सरकार को नर्सरी एडमिशन की गाइड लाइंस बनाने में समय लग रहा है। हाल ही में शिक्षा निदेशालय को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गाइड लाइंस मिली हैं, जिसमें कहा गया है कि स्कूल अलग-अलग कैटिगरी बनाकर ड्रॉ के जरिए स्टूडेंट्स को ले सकते हैं। इसी आधार पर शिक्षा निदेशालय भी अपने नियम बनाने जा रहा है(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,30.11.2010)।
धन्यवाद इस जानकारी के लिये।
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