मूल्यांकन प्रणाली में विवि की गलती पकड़ने वाले विद्यार्थियों ने गुरुवार को विवि में जमकर हंगामा किया। विवि द्वारा समस्या पर ध्यान न दिए जाने पर विद्यार्थियों ने भूख हड़ताल की धमकी दी। बाद में रजिस्ट्रार ने विद्यार्थियों को बुलाया और नियमों से बाहर जाकर फायदा पहुँचाने का आश्वासन दे दिया। साथ ही शर्त रख दी कि बात मीडिया तक न पहुँचे।
दोपहर एक बजे बीबीए चौथे सेमेस्टर के विद्यार्थी विवि पहुँचे। कुलपति कक्ष के बाहर नारेबाजी करते छात्र-छात्राओं का आरोप था कि उनकी ऑपरेशन मैनेजमेंट विषय की कॉपियाँ लापरवाहीपूर्वक जाँची गई है। इस कारण ज्यादातर विद्यार्थी फेल हो गए। विद्यार्थियों ने जब खुद कॉपियाँ देखी तो उन्हें गड़बड़ी का पता चला। बीते दिनों कुलपति ने आश्वासन दिया था कि इस विषय का फिर से मूल्यांकन करवाया जाएगा लेकिन बुधवार की कार्यपरिषद बैठक में सिर्फ बिजनेस कॉस्टिंग विषय की कॉपियाँ दोबारा जँचवाने का प्रस्ताव रखा गया। ऑपरेशन मैनेजमेंट को भूला दिया गया।
नारेबाजी करते विद्यार्थियों को कुलसचिव ने चर्चा के लिए बुलाया। विद्यार्थियों के सामने उन्होंने शर्त रखी की मीडिया वालों को बाहर भेज दो उसके बाद ही मैं बात करुँगा। बाद में मीडिया की गैरमौजूदगी में रजिस्ट्रार डॉ. सिंह और डिप्टी रजिस्ट्रार परीक्षा डॉ. सुभाषचंद्र आर्य ने विद्यार्थियों से कहा कि वे पूनर्मूल्यांकन फॉर्म भर दें। सब ठीक हो जाएगा। छात्रों ने कहा कि हम कैसे भरोसा करें। रजिस्ट्रार ने जवाब दिया कि हम नियमों से बाहर जाकर आपको फायदा पहुँचा रहे हैं। कॉपियाँ दोबारा जाँचने का प्रस्ताव यदि राजभवन जाता तो आपका समय खराब होता। भगवान पर भरोसा रखो सब ठीक होगा लेकिन बाहर जाकर मीडिया को मत बताना। रजिस्ट्रार ने विद्यार्थियों को १५ नवंबर तक सब ठीक करने का भरोसा दिया।
परीक्षा फार्म के साथ 200 रूपए वसूलने पर आक्रोश
विद्यार्थियों के परीक्षा फॉर्म जमा करने विवि कार्यालय आ रहे कॉलेज के कर्मचारियों को वापस लौटाया जा रहा है। फर्स्ट सेमेस्टर के परीक्षा फॉर्म के साथ विवि में प्रति विद्यार्थी दो सौ रुपए देने की माँग हो रही है। परीक्षा विभाग में पहली बार फॉर्म के साथ अलग से राशि लेने के इस रिवाज से कॉलेज वाले भी हैरान हैं। विभाग के अधिकारी इसे नामांकन शुल्क का फाइन करार दे रहे हैं। इधर कॉलेज वालों के अनुसार नामांकन शुल्क तो विद्यार्थी परीक्षा चालान के साथ ही जमा कर रहे हैं। उस पर अलग से फाइन वसूली की बात समझ से परे है।
नियमानुसार विवि के रिकॉर्ड में पहली बार दर्ज हो रहे विद्यार्थी को ही अपना नामांकन करवाना होता है। दो साल पहले तक विवि नामांकन शुल्क के रूप में २५ रुपए फीस लेता था। बीते साल से इसे बढ़ाकर १०० रुपए कर दिया गया। परीक्षा के चालान के साथ ही नामांकन शुल्क जमा किया जाता है। तय तारीख के बाद चालान भरने वालों पर नियमानुसार विलंब शुल्क भी लागू होता है। चालान जमा कर चुके विद्यार्थियों के ही परीक्षा फॉर्म कॉलेज विवि तक अग्रेषित करता है। यानी विद्यार्थी पूरी फीस पहले ही दे चुके हैं। ऐसे में नामांकन में विलंब की बात कहकर फॉर्म के साथ कॉलेजों से प्रति विद्यार्थी दो सौ रुपए जमा करवाने की बात कॉलेज वालों को हजम नहीं हो रही। कॉलेज वालों का तर्क है जब चालान के साथ ही तमाम शुल्क से लेकर विलंब शुल्क तक जमा हो गया है तो फिर अलग से पैसा क्यों माँगा जा रहा।
प्रति विद्यार्थी दो सौ रुपए देने के इस नियम के बारे में विवि ने कोई लिखित आदेश भी जारी नहीं किया है। फॉर्म का बंडल लेकर परीक्षा विभाग पहुँचने पर ही कॉलेज वालों को इसकी जानकारी दी जा रही है। कुछ कॉलेज अब विद्यार्थियों से इस अतिरिक्त राशि की वसूली में जुट गए हैं तो कुछ विवि के इस नियम के विरोध में शिकायत की तैयारी कर रहे हैं। सहायक कुलसचिव परीक्षा रचना ठाकुर के अनुसार ३० सितंबर तक नामांकन करवाना होता है। नहीं तो विवि अधिनियम विलंब शुल्क लेने की इजाजत देता है।
नामांकन ३० सितंबर के बाद हुआ इसलिए अलग से पैसे लिए जा रहे हैं। हालाँकि अधिकारियों के पास इस बात का जवाब नहीं है कि चालान के साथ यह फाइन क्यों नहीं लिया गया। जबकि चालान अक्टूबर-नवंबर में जमा हुए हैं। विवि पहले ही यह आदेश भी जारी कर चुका है कि सभी तरह के शुल्क चालान के जरिए ही जमा होंगे।
(लोकेश सोलंकी,नई दुनिया,इन्दौर,12.11.2010)।
परीक्षा फार्म के साथ 200 रूपए वसूलने पर आक्रोश
विद्यार्थियों के परीक्षा फॉर्म जमा करने विवि कार्यालय आ रहे कॉलेज के कर्मचारियों को वापस लौटाया जा रहा है। फर्स्ट सेमेस्टर के परीक्षा फॉर्म के साथ विवि में प्रति विद्यार्थी दो सौ रुपए देने की माँग हो रही है। परीक्षा विभाग में पहली बार फॉर्म के साथ अलग से राशि लेने के इस रिवाज से कॉलेज वाले भी हैरान हैं। विभाग के अधिकारी इसे नामांकन शुल्क का फाइन करार दे रहे हैं। इधर कॉलेज वालों के अनुसार नामांकन शुल्क तो विद्यार्थी परीक्षा चालान के साथ ही जमा कर रहे हैं। उस पर अलग से फाइन वसूली की बात समझ से परे है।
नियमानुसार विवि के रिकॉर्ड में पहली बार दर्ज हो रहे विद्यार्थी को ही अपना नामांकन करवाना होता है। दो साल पहले तक विवि नामांकन शुल्क के रूप में २५ रुपए फीस लेता था। बीते साल से इसे बढ़ाकर १०० रुपए कर दिया गया। परीक्षा के चालान के साथ ही नामांकन शुल्क जमा किया जाता है। तय तारीख के बाद चालान भरने वालों पर नियमानुसार विलंब शुल्क भी लागू होता है। चालान जमा कर चुके विद्यार्थियों के ही परीक्षा फॉर्म कॉलेज विवि तक अग्रेषित करता है। यानी विद्यार्थी पूरी फीस पहले ही दे चुके हैं। ऐसे में नामांकन में विलंब की बात कहकर फॉर्म के साथ कॉलेजों से प्रति विद्यार्थी दो सौ रुपए जमा करवाने की बात कॉलेज वालों को हजम नहीं हो रही। कॉलेज वालों का तर्क है जब चालान के साथ ही तमाम शुल्क से लेकर विलंब शुल्क तक जमा हो गया है तो फिर अलग से पैसा क्यों माँगा जा रहा।
प्रति विद्यार्थी दो सौ रुपए देने के इस नियम के बारे में विवि ने कोई लिखित आदेश भी जारी नहीं किया है। फॉर्म का बंडल लेकर परीक्षा विभाग पहुँचने पर ही कॉलेज वालों को इसकी जानकारी दी जा रही है। कुछ कॉलेज अब विद्यार्थियों से इस अतिरिक्त राशि की वसूली में जुट गए हैं तो कुछ विवि के इस नियम के विरोध में शिकायत की तैयारी कर रहे हैं। सहायक कुलसचिव परीक्षा रचना ठाकुर के अनुसार ३० सितंबर तक नामांकन करवाना होता है। नहीं तो विवि अधिनियम विलंब शुल्क लेने की इजाजत देता है।
नामांकन ३० सितंबर के बाद हुआ इसलिए अलग से पैसे लिए जा रहे हैं। हालाँकि अधिकारियों के पास इस बात का जवाब नहीं है कि चालान के साथ यह फाइन क्यों नहीं लिया गया। जबकि चालान अक्टूबर-नवंबर में जमा हुए हैं। विवि पहले ही यह आदेश भी जारी कर चुका है कि सभी तरह के शुल्क चालान के जरिए ही जमा होंगे।
(लोकेश सोलंकी,नई दुनिया,इन्दौर,12.11.2010)।
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