राजस्थान उच्च न्यायालय ने पुराने नियमों से पीएचडी करने वालों को राहत प्रदान करते हुए तीन विश्वविद्यालयों व राजस्थान लोक सेवा आयोग को 2009 से पूर्व पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया में हिस्सा लेने की छूट देने के अंतरिम आदेश दिए हैं।
इस मामले में इन चारों संस्थानों की ओर से निकाली गई भर्तियों में 2009 से पहले पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को नकार दिया गया था। इस पर सुखाडिया विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ललित सिंह झाला व अन्य ने राजस्थान लोक सेवा आयोग, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर, मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर व महाराज गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग व राजस्थान सरकार को पार्टी बनाते हुए याचिका पेश की।
याचिककर्ताओं के वकील पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने अभ्यर्थियों की ओर से तीनों विश्वविद्यालयों व आरपीएससी के भर्ती नियमों का यह कहते हुए विरोध किया कि यूजीसी के नए नियम 2009 से लागू हुए हैं और अब तक पीएचडी नेट व स्लेट के विकल्प के रूप में चलती आई है। इस तरह से अचानक नियुक्तियों में पुराने पीएचडीधारियों पर रोक से हजारों विद्यार्थियों के अमूल्य शोध पर ही प्रशनचिन्ह लग जाएगा।
विधानसभा द्वारा पारित नियमों से पुराने पीएचडीधारी सभी नियुक्तियों में वंचित रह जाएंगे जबकि एसोसिएट व प्रोफेसर के महत्वपूर्ण पदों पर आज भी पुराने नियमों के पीएचडीधारी योग्य हैं। इस पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश डा. विनीत कोठारी ने पुराने नियमों से पीएचडी करने वाले याचिकाकर्ताओं को भी चयन प्रक्रिया में हिस्सा लेने की छूट के आदेश दिए। अधिवक्ता भाटी के बताया कि आदेश का लाभ फिलहाल 70 याचिकाकर्ताओं को ही मिलेगा, लेकिन इस आदेश के आधार पर अन्य अभ्यर्थी भी केस याचिका के माध्यम से इसमें सम्मलित हो सकते हैं(राजस्थान पत्रिका,उदयपुर,4.11.2010)।
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