पटना प्रमंडल के 25 संस्कृत स्कूलों की मान्यता पर तलवार लटक गई है। इन स्कूलों में आधारभूत संरचना और शैक्षणिक गतिविधियों का घोर अभाव पाया गया है। संबंधित विद्यालय प्रस्वीकृति की प्रतीक्षा सूची में शामिल हैं। रोचक यह कि बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के निर्देश पर विद्यालयों में आधारभूत संरचना की जांच करायी गई तो कई मामले का खुलासा हुआ।
आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जांच के दौरान संबंधित स्कूलों में शिक्षक और छात्र का अनुपात नहीं मिला। मजेदार बात ये कि कहीं शिक्षक हैं तो उनके अनुपात में छात्र नहीं। इसी तरह कहीं छात्रों की संख्या के अनुपात में शिक्षक नहीं हैं। बताया गया कि विगत वर्षो में संबंधित विद्यालयों से 350 से 470 परीक्षार्थी मध्यमा परीक्षा में शामिल कराए गए हैं, लेकिन जांच के दरम्यान संबंधित स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियों का कोई माहौल नहीं देखने को मिला। यहां तक कि स्कूल भवन की जगह जर्जर दो-तीन कमरे पाये गए। पुस्तकालय और वाचनालय भी नहीं हैं। यहां बता दें कि संस्कृत बोर्ड के स्तर से पहले से ही राज्य भर के प्रस्वीकृति प्राप्त स्कूलों में आधारभूत संरचना की जांच करायी जा रही है। इससे स्कूलों की सच्चाई सामने आ रही है। पिछले महीने संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष सिद्धेश्वर प्रसाद ने 86 कोटि के संस्कृत स्कूलों का निरीक्षण किया था। उत्तार बिहार के उन विद्यालयों में जांच के दौरान ऐसे चार स्कूल पाये गए थे, जहां आधारभूत संरचना नाम की कोई चीज नहीं था। शिक्षक भी नहीं मिले थे(दैनिक जागरण,15.11.2010)।
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