माध्यमिक शिक्षा मंडल के इतिहास में पहली बार दसवीं-बारहवीं बोर्ड परीक्षाओं की कापी चैक करने के दौरान मूल्यांकनकर्ताओं को 33 लाख का दूध, मठा व लस्सी पिलाई गई। माध्यमिक शिक्षा मंडल में पिछले डेढ़ साल में की गई फिजूलखर्ची की राशि के राज दिन प्रतिदिन खुलते जा रहे है। माशिमं द्वारा गर्मी के दौरान मूल्यांकनकर्ताओं का दिमाग ठंडा करने के लिए 33 लाख का ठंडा पिलाया गया। जबकि अधिकांश मूल्यांकनकर्ताओं को चाय पीने की आदत थी। कापी चैक करने के दौरान इसकी मांग भी की गई, लेकिन मंडल ने सिर्फ सांची का दूध, मठा व लस्सी ही पिलाया। चाय की व्यवस्था कम ही जगह पर की गई। मूल्यांकन केंद्रों पर दूध अधिक पहुंच जाने से फेंका भी गया। बावजूद इसके मंडल अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। इसी प्रकार की फिजूलखर्चियों पर गत दिवस मंडल में आयोजित साधारण सभा का सदस्यों ने बहिष्कार भी कर दिया था। मंडल सदस्यों ने बैठक में बिना टेंडर फर्नीचर खरीदी में अनियमितता के आरोप भी लगाए है।
विगत डेढ़ वर्षो में खुले हाथ से हुई खर्च राशि में माशिमं ने सतत मूल्यांकन प्रणाली के तहत परिसर में कई कार्यशालाएं आयोजित करवाई। इसमें मंडल द्वारा करीब सवा करोड़ की राशि खर्च की गई है। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने स्कूलों में टेबल कुर्सी व प्रयोगशाला की कीट पहुंचाई। यह खरीदी बिना टेंडर के हुई। छात्रों के भ्रमण के लिए राशि खर्च की गई। साथ ही मंडल मुख्यालय व कालोनियों में मरम्मत के लिए राशि खर्च की गई। सूत्रों के अनुसार इन सबमें करीब 32 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई। इसके अलावा घड़ी बांटने जैसे अन्य व्यय भी किए गए। जिसमें मंडल द्वारा करीब 3 करोड़ खर्च कर दिए है। मंडल आयोजित हुई कार्यशालाओं में खाना खिलाने व रुकने की व्यवस्था के साथ डीए भी दिया गया। जबकि नियमानुसार एक ही राशि दी जाती है। राशि की फिजूलखर्ची से इस बार हालात ऐसे बने की मंडल को कर्मचारियों का वेतन बांटने के लिए एफडी तोड़ने का निर्णय लेना पड़ा। उक्त एफडी की मियाद बीस नवंबर को पूरी हो रही थी हालांकि नवागत सचिव सभाजीत यादव ने उक्त एफडी को तोड़ने पर रोक लगा दी है।
मंडल सूत्रों का कहना है कि पिछले एक वर्ष में करीब 88 करोड़ रुपए की राशि अन्य वर्षो की अपेक्षा अतिरिक्त खर्च की गई है। 8 लाख का काम 96 लाख में माध्यमिक शिक्षा मंडल के नए आदेश के अंतर्गत 8 लाख का काम 96 लाख में कराया जा रहा है। माशिमं द्वारा इस बार दसवीं-बारहवीं के परीक्षा फार्म की स्क्रूटनी स्कूल व समन्वयक संस्था स्तर पर करने के आदेश दिए है। स्कूल स्तर पर फार्म की स्क्रूटनी के लिए प्रति फार्म पांच रुपए की राशि शिक्षकों को दी जा रही है। एक रुपए प्रति फार्म की राशि समन्वयक संस्था (माशिमं के स्कूल या उत्कृष्ट संस्था) को फार्म की स्क्रूटनी के लिए देगी। जबकि यहीं काम पिछले साल मात्र पचास पैसा प्रति फार्म हुआ करता था। फार्म की स्क्रूटनी का कार्य भी मंडल के कर्मचारी करते थे।
पिछले साल करीब दसवीं-बारहवीं परीक्षा में 13 लाख 72 हजार छात्र शामिल हुए थे। पचास पैसे के अनुसार प्रति फार्म की स्क्रूटनी के लिए मंडल ने करीब सात लाख रुपए ही खर्च किए। जबकि इस साल छात्रों की कुछ संख्या बढ़ेगी। दसवीं-बारहवीं दोनों कक्षाओं में करीब सोलह लाख परीक्षार्थियों के शामिल होने का अनुमान है। मंडल द्वारा स्कूल स्तर पर प्रति फार्म की स्क्रूटनी के लिए पांच रुपए दिए जाने पर अस्सी लाख का भुगतान करेगा। जबकि समन्वय संस्था में स्क्रूटनी के लिए एक रुपए के अनुसार 16 लाख खर्च करेगा। कुल राशि 96 लाख की होगी। जबकि यहीं काम पिछले साल की दर में किया जाता, तो आठ लाख में पूरा हो जाता(दैनिक जागरण,भोपाल,18.11.2010)।
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