पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय,बिलासपुर ने 50 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों के कई साल बरबाद कर दिये हैं। विवि पांच साल पहले 2005 में विवि अस्तित्व में आया था। तब से अब तक विवि प्रबंधन सिर्फ दो बार परीक्षा आयोजित करवा सका है।
वर्ष 2010 तक विवि में 75 हजार विद्यार्थी दाखिला ले चुके हैं। परीक्षा नहीं होने की वजह से इनमें से विभिन्न कोर्स के करीब 50 हजार से ज्यादा विद्यार्थी अब तक परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं।
विवि ने छत्तीसगढ़ में फार्म भरने के चार सेंटर बनाए थे। बिलासपुर मुख्यालय के अलावा रायपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर स्थित क्षेत्रीय केंद्रों पर फार्म भरे गए। फार्म भरने के बाद की बाकी खानापूर्ति बिलासपुर में की गई। पूछताछ के लिए राजधानी सहित दूसरे क्षेत्रीय कार्यालयों में विद्यार्थी चक्कर काटते रहे और साल दर साल बीतता गया।
फीस दस हजार और किताब तक नहीं दिए
मुक्त विवि के विद्यार्थी एक जगह संगठित नहीं हो सके, इस वजह से अब तक विरोध नहीं हुआ। दैनिक भास्कर ने कुछ पीड़ित विद्यार्थियों से चर्चा की। छात्रों ने बताया कि उनकी कोई सुन नहीं रहा।
विभिन्न विषयों व ईयर के लिए न्यूनतम 2000 से 10,000 तक फीस ली गई है। फीस लेने के समय कहा गया था कि किताबें विवि देगा। परीक्षा में उत्र्तीण होने के लिए विशेष कक्षाएं आयोजित की जाएंगी।
पढ़ाई तो दूर विवि ने किताबें तक नहीं दीं। मोटी फीस देकर भी हमारा पूरा साल बेकार चला गया।
चौदह माह में भी पूरा रिजल्ट नहीं :
जून 2009 में सभी कोर्स की परीक्षा आयोजित की गई थीं। अगस्त 2010 में कुछ विषयों के नतीजे जारी हुए हैं। डेढ़ साल पहले फार्म भरवाए गए थे। उन विद्यार्थियों को परीक्षा की तारीख नहीं बतायी गई है।
— 2005 में इस मुक्त विवि की स्थापना की गई।
— अध्ययन केंद्रों की संख्या 155।
— 2009-10 में 42137 छात्रों ने दी परीक्षा।
— 304 ने पीएचडी के लिए कराया रजिस्ट्रेशन।
क्या है मुक्त विवि का उद्देश्य
शासन ने विवि उन विद्यार्थियों के लिए खोला था, जो काम के साथ-साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं। ऐसे विद्यार्थियों की सुविधा को ध्यान में रखकर रोजगार मूलक कोर्स इसमें शामिल किए गए थे। व्यवसायिक व कंप्यूटर कोर्स भी रखा गया। विद्यार्थियों से फीस लेकर किताबें देने का प्रावधान किया गया। परीक्षा के समय विद्यार्थियों को तैयार करने के लिए 155 अध्ययन केंद्रों की स्थापना की गई।
"नया विवि है, शुरूआती दौर में थोड़ी परेशानी होती है। कर्मचारियों की संख्या अभी कम है। धीरे-धीरे स्थिति ठीक हो जाएगी "-इंदू अनंत, रजिस्ट्रार, पं.सुंदरलाल शर्मा मुक्त विवि(सुधीर उपाध्याय,दैनिक भास्कर,रायपुर,14.11.2010)
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