झारखंड के 15 प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय की करीब पांच हजार छात्राओं का भविष्य अधर में लटकता दिख रहा है. इनके परीक्षा में शामिल होने पर झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने रोक लगा दी है. 1988-89 से संचालित इन स्कूलों का शिक्षा विभाग के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है.
माध्यमिक शिक्षा निदेशक एफ सोरेंग ने कहा है कि सरकार ने न तो इन स्कूलों को खोला है, न इसे स्थापना अनुमति प्राप्त है. इसलिए इन स्कूलों की छात्राओं का पंजीयन नहीं किया जाय. निदेशालय इस आशय का पत्र मिलने के बाद जैक ने यह कार्रवाई की है. वर्ष 2012 के लिए पंजीयन हो रहे हैं. पंजीयन नहीं होने से नौवीं की छात्राएं भी वर्ष मैट्रिक परीक्षा नहीं दे पायेंगी. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि 2010 में इन स्कूलों की छात्राओं ने मैट्रिक की परीक्षा दी थी.
सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहींसूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय तिसिया की स्थापना अनुमति के बारे में जानकारी मांगी गयी थी. काउंसिल ने विभाग से स्कूलों की सूची मांगी, तो सरकार के पास इन स्कूलों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला.
काउंसिल ने इन स्कूलों के वर्ष 2010 के मैट्रिक परीक्षा फल प्रकाशन पर रोक लगा दी. बाद में हाइकोर्ट के आदेश पर सरकार ने काउंसिल को इन स्कूलों का रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया. तब जाकर रिजल्ट जारी किया गया.
2011 की परीक्षा के लिए हो चुका है पंजीयनवर्ष 2011 की मैट्रिक परीक्षा के लिए इन विद्यालय की छात्राओं का पंजीयन हो चुका है. सरकार के निर्देश के बाद अब इन छात्राओं के परीक्षा फॉर्म भरने को लेकर संशय है. ये छात्राएं बिना काउंसिल की अनुमति के दूसरे स्कूल से प्राइवेट परीक्षार्थी के प में भी परीक्षा नहीं दे सकेंगी.
"छात्राओं के हित में होगा निर्णयसरकार के निर्देश का पालन किया जायेगा. जहां तक वर्ष 2011 की परीक्षा में शामिल होने की बात है, तो इसमें छात्राओं के हित में निर्णय लिया जायेगा. इस संबंध में विचार-विमर्श के बाद आवश्यक कार्रवाई की जायेगी"-लक्ष्मी सिंह, अध्यक्ष,झारखंड एकेडमिक काउंसिल(सुनील कुमार झा,प्रभात ख़बर,रांची,22.11.2010)
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