हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में अनुबंध शिक्षकों की सेवाओं का आठ साल की बजाए तीन साल में नियमितिकरण किया जा सकता है। शिक्षा विभाग इसके लिए प्रपोजल बनाकर प्रदेश सरकार को मंजूरी के लिए भेज रहा है। शिक्षा निदेशालय में राजकीय अध्यापक संघ के साथ शनिवार को देर शाम तक चली बैठक में यह निर्णय लिया गया है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक राजीव शर्मा ने कहा, इसके लिए प्रपोजल सरकार की मंजूरी के लिए भेजा जा रहा है।
50 तक मिल रहीं नौकरियां
विदित रहे कि वर्तमान में शिक्षा विभाग में लगभग आठ हजार से अधिक अनुबंध शिक्षक कार्यरत हैं, जिनकी सेवाओं का नियमितिकरण सरकार की अनुबंध नीति के मुताबिक आठ साल बाद किया जाने का प्रावधान है।
राजकीय अध्यापक संघ के साथ आयोजित हुई बैठक में प्रदेशाध्यक्ष पी.आर. सांख्यान ने यह मांग रखी थी कि इससे पहले भी एडहॉक व टेन्योर शिक्षकों की सेवाओं का नियमितिकरण सरकार तीन साल के कार्यकाल के बाद कर चुकी है।
वर्तमान में प्रदेश के शिक्षित बेराजगारों को 40 से 50 साल की आयु के बीच नौकरियां मिल रही हैं। ऐसे में कई शिक्षक सेवानिवृत्ति आयु तक पहुंचते हुए ही नियमित हो पा रहे हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग को शिक्षकों की सेवाओं का नियमितिकरण तीन साल में किया जाना चाहिए।
1:40 का होगा अनुपात
संघ के साथ हुई इस बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि अध्यापक छात्र अनुपात को 1:60 से कम करके 1:40 के आधार पर किया जाएगा। केंद्रीय विद्यालयों में अध्यापक छात्र अनुपात की दर भी यही है। प्रदेश के स्कूलों में युक्तिकरण करते समय छात्रों की संख्या केवल 30सिंतबर तक ही ली जाएगी। इसके साथ पिछले दो तीन सालों की छात्रों की संख्या को ही आधार माना जाएगा(दैनिक भास्कर,शिमला,22.11.2010)।
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